उत्तराखंड देहरादूनRecommendations in Uttarakhand Land Law

पूर्व CM त्रिवेंद्र के फैसले को पलटने की तैयारी, जानिए कैसा होगा उत्तराखंड का नया भू-कानून!

उत्तराखंड भू कानून Uttarakhand Land Law को लेकर माना जा रहा है कि जल्द ही सीएम धामी बड़ा ऐलान करने वाले हैं।

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Image: Recommendations in Uttarakhand Land Law (Source: Social Media)

देहरादून: प्रदेश में धामी सरकार के गठन के बाद हर स्तर पर बड़े बदलाव दिखे। धामी सरकार ने पूर्ववर्ती त्रिवेंद्र सरकार के कई फैसलों को पलट दिया। अब इसी कड़ी में पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के सभी भू कानून संशोधनों Uttarakhand Land Law को पलटने की तैयारी है।

Uttarakhand Land Law Recommendations

दरअसल उत्तराखंड में भू-कानून के अध्ययन व परीक्षण के लिए एक समिति गठित की गई थी। समिति ने प्रदेश हित में निवेश की संभावनाओं और भूमि के अनियंत्रित क्रय - विक्रय के बीच संतुलन स्थापित करते हुए अपनी 23 संस्तुतियां सरकार को दी हैं। खास बात ये है कि समिति ने पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के संशोधनों को पलटने की सिफारिश की है। समिति ने वर्तमान में प्रदेश में प्रचलित उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) यथा संशोधित और यथा प्रवृत्त में जन भावनाओं के अनुरूप हिमाचल प्रदेश की तरह कतिपय प्रावधानों की संस्तुति की है। समिति ने कहा कि राज्य में उद्योग, पर्यटन, शिक्षण संस्थान के नाम पर साढ़े 12 एकड़ से भी अधिक भूमि की खरीद पर रोक लगाई जाए। किसी को भी उसकी तय जरूरत से अधिक जमीन खरीद का अधिकार न दिया जाए। इसकी जगह हिमाचल प्रदेश की तरह न्यूनतम भूमि आवश्यकता के आधार पर जमीन देने पर जोर दिया गया है। समिति ने ये भी कहा कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम श्रेणी के उद्योगों को जमीन खरीद करने की मंजूरी देने का निर्णय शासन स्तर पर हो। मौजूदा समय में ये अधिकार डीएम के पास है। आगे पढ़िए

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समिति ने राज्य में सिडकुल की खाली पड़ी जमीनों को औद्योगिक कार्यों के लिए इस्तेमाल पर जोर दिया है। साथ ही सरकारी जमीन कब्जाने, अवैध कब्जे वाली भूमि पर धार्मिक स्थल बनाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की सिफारिश की। ये भी कहा कि नदी, नालों, वन क्षेत्रों, चारागाहों, सार्वजनिक भूमि पर हुए अतिक्रमण पर कार्रवाई हो। अवैध कब्जे, निर्माण कर धार्मिक स्थल बनाने वालों के विरुद्ध कठोर दंड का प्रावधान हो। इसके लिए जिम्मेदार संबंधित विभागों के अधिकारियों के विरुद्ध भी सख्त कार्रवाई का प्रावधान हो। बता दें कि समिति ने राज्य के हितबद्ध पक्षकारों, विभिन्न संगठनों, संस्थाओं से सुझाव आमंत्रित कर गहन विचार-विमर्श कर लगभग 80 पृष्ठों में अपनी रिपोर्ट तैयार की है। इसके लिए समिति ने सभी जिलाधिकारियों से प्रदेश में अब तक दी गई भूमि क्रय की स्वीकृतियों का विवरण मांग कर उनका परीक्षण भी किया है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में ऐसे बिंदुओं को शामिल किया है। जिससे राज्य में विकास के लिए निवेश बढ़े और रोजगार के अवसरों में वृद्धि हो। साथ ही भूमि का अनावश्यक दुरूपयोग रोकने की भी अनुशंसा की गई है।