उत्तराखंड नैनीतालIAS Deepak Rawat Speaks about 2016 Paper Leak Haridwar Nainital

IAS दीपक रावत ने खोली सिस्टम की पोल, कहा- 2016 में लीक हुआ था पेपर..देखिए वीडियो

वरिष्ठ आईएएस अधिकारी IAS Deepak Rawat ने नैनीताल में पेपर लीक होने की पुष्टि तो की, लेकिन इस मामले में कितनी गिरफ्तारियां हुईं और कितने लोगों को सजा मिली, ये नहीं बताया।

ias deepak rawat: IAS Deepak Rawat Speaks about 2016 Paper Leak Haridwar Nainital
Image: IAS Deepak Rawat Speaks about 2016 Paper Leak Haridwar Nainital (Source: Social Media)

नैनीताल: उत्तराखंड में नकल माफिया युवाओं के भविष्य के साथ सालों तक खेलते रहे, लेकिन किसी को खबर नहीं हुई। अब जबकि पेपर लीक का मामला सबके सामने है तो दूसरी भर्तियों में हुई धांधली भी पकड़ में आने लगी है।

IAS Deepak Rawat Speaks about 2016 Paper Leak

इस बीच कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत का एक इंटरव्यू सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। इस इंटरव्यू में दीपक रावत कहते दिखे कि साल 2016 में जब वो नैनीताल के डीएम थे तो उन्हें वॉट्सएप पर एक मैसेज आया। जिसमें बताया गया कि जो पेपर होने जा रहा है, वो लीक हो गया है। इस तरह वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने नैनीताल में पेपर लीक होने की पुष्टि तो की, लेकिन इस मामले में कितनी गिरफ्तारियां हुईं और कितने लोगों को सजा मिली, ये नहीं बताया। अहम बात यह भी है कि ये दोनों ही पेपर लीक हरीश रावत और त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री रहते हुए थे। लेकिन न कोई जांच हुई और न कोई एक्शन। उत्तराखंड तक को दिए इंटरव्यू में आईएएस दीपक रावत कहते दिखते हैं कि यह पेपर कोऑपरेटिव डिपार्टमेंट का या किसी और डिपार्टमेंट का था। जब मैंने पेपर देखा तो पेपर शुरू होने में 15 मिनट ही बचे थे, क्योंकि दो बजे तो पेपर था। नजदीकी सेंटर पर जाकर शिकायत को वैरीफाई किया तो पूरा पेपर टैली हो गया। वो परीक्षा रद्द कर दी गई थी। इसी तरह हरिद्वार में भी अपने कार्यकाल के दौरान उन्हें एक परीक्षा में नकल की सूचना मिली थी। इस परीक्षा को भी रद्द कराया गया था। आगे देखिए वीडियो

ये भी पढ़ें:

कुमाऊं कमिश्नर जैसे अहम ओहदा संभालने वाले रावत ने दो गंभीर घटनाओं का जिक्र किया है, जो कि वाकई गंभीर मामला है, लेकिन इन गंभीर मसलों से जुड़े कई सवालों के जवाब उनके इंटरव्यू में नहीं मिले। सवाल ये भी है कि पेपर लीक के इन मामलों में कितने लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुआ, या गिरफ्तारियां हुई, ये भी पता चलना चाहिए। आपको याद दिला दें कि साल 2016 में हरीश रावत और 2018 में त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री का ओहदा संभाल रहे थे। आईएएस दीपक रावत के बयान से ये साफ हो गया है कि इन दोनों में से किसी ने भी पेपर लीक और सामूहिक नकल के मामलों को गंभीरता से नहीं लिया, अगर उसी वक्त जांच हुई होती तो नकल माफिया और उन्हें संरक्षण देने वालों के खिलाफ कार्रवाई हो गई होती। देखिए IAS Deepak Rawat का वो इंटरव्यू