देहरादून: उत्तराखंड के पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। पूर्व डीजीपी पर सरकारी जमीन कब्जाने के साथ ही पेड़ काटने का आरोप है।
Uttarakhand former DGP BS Sidhu case
अब वन विभाग उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की तैयारी में है, शासन से इसकी अनुमति भी मिल चुकी है। अहम बात ये है कि पूर्व डीजीपी सिद्धू सेवा से रिटायर हो चुके हैं, लेकिन पुरानी गलतियां उनका पीछा नहीं छोड़ रहीं। यहां आपको पूरा मामला भी बताते हैं। साल 2012 में पूर्व डीजीपी सिद्धू ने मसूरी वन प्रभाग के वीर गिरवाली गांव में 1.30 हेक्टेयर जमीन खरीदी। फिर आया साल 2013, इस साल संबंधित जमीन पर मौजूद साल के 25 पेड़ काट दिए गए। वन विभाग ने जांच कराई तो पता चला कि जिस जमीन से पेड़ काटे गए, वो रिजर्व फॉरेस्ट की है। ये भी पता चला कि सिद्धू ने न सिर्फ अवैध तरीके से जमीन खरीदी, बल्कि उस पर खड़े हरे पेड़ भी काट दिए। मामले में वन विभाग ने उनके खिलाफ जुर्माना भी लगाया था। बाद में सिद्धू के नाम की गई जमीन की रजिस्ट्री भी कैंसिल कर दी गई। कुछ समय पूर्व ही वन विभाग ने शासन से सिद्धू के खिलाफ रिजर्व फॉरेस्ट में जमीन कब्जाने और पेड़ कटान के आरोप में आईपीसी की धाराओं में मुकदमा दर्ज करवाने की अनुमति मांगी थी। आगे पढ़िए
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अब वन सचिव विजय कुमार यादव की ओर से उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाने की अनुमति दे दी गई है। शासन ने पीसीसीएफ को इस मामले में कार्रवाई के लिए लिखा है। डीएफओ मसूरी को पूरे मामले में कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। वहीं पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू का कहना है कि वन विभाग मेरे खिलाफ जुर्माना काटने की कार्रवाई कर चुका है। जिला न्यायालय ने मेरे खिलाफ आईपीसी में मुकदमा दर्ज करने की अनुमति को खारिज कर दिया है। ऐसे में अगर शासन ने कार्रवाई की अनुमति दी है, तो ये गलत है। मुकदमे के खिलाफ मैं कानूनी कार्रवाई करूंगा। उधर, डीएफओ मसूरी आशुतोष ने पत्र मिलने की पुष्टि करते हुए बताया कि पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू DGP BS Sidhu के खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन का पत्र मिला है, कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।