उत्तराखंड नैनीतालSurkhab bird in Uttarakhand Ramnagar Kosi barrage

उत्तराखंड में दिखा बेशकीमती सुर्खाब पक्षी का जोड़ा, ये उम्र भर साथ रहते हैं..जानिए खास बातें

सुर्खाब पक्षी सेंट्रल एशिया, सिक्किम और लद्दाख से यहां शीतकालीन प्रवास पर आते हैं और मार्च अंतिम या अप्रैल आरंभ में वापस अपने इलाकों को लौट जाते हैं।

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Image: Surkhab bird in Uttarakhand Ramnagar Kosi barrage (Source: Social Media)

नैनीताल: वन्यजीवों और प्रकृति से प्रेम करने वालों के लिए नैनीताल की खूबसूरत वादियां किसी खजाने से कम नहीं हैं। यहां प्राकृतिक नजारों की भरमार तो है ही कई तरह के प्रवासी पक्षी भी देखने को मिलते हैं।

Ramnagar Kosi Barrage Surkhab Bird

इन दिनों रामनगर का कोसी बैराज दुर्लभ सुर्खाब पक्षियों से गुलजार हो रहा है। कश्मीर, नेपाल और लद्दाख में बर्फ गिरने की वजह से सुर्खाब रामनगर के कोसी बैराज पहुंच रहे हैं। पक्षी प्रेमी हर साल इनका बेसब्री से इंतजार करते है। सुर्खाब का मुख्य भोजन घास फूस, जड़ काई, छोटे मेंढक, कीड़े, मकोड़े है। सुर्खाब के शिकार पर पूर्णत: प्रतिबंध है। वन्यजीव अधिनियम की धारा 1973 (2003) के तहत इन्हें पूर्ण संरक्षण प्राप्त है। आमतौर पर कोसी बैराज में सुर्खाब जाड़ों में शीतकालीन प्रवास के लिए पहुंचते हैं। नवंबर के पहले हफ्ते में कोसी बैराज सुर्खाब से गुलजार नजर आने लगता है, लेकिन इस बार बारिश और बर्फबारी के चलते ठंड का अहसास समय से पहले होने लगा, जिसके चलते सुर्खाब भी समय से पहले जलाशय के पास पहुंच गए। आगे पढ़िए

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शर्मीले स्वभाव के सुर्खाब जिंदगी भर के लिए जोड़े में रहते हैं। ये अपना घोंसला पानी से हटकर चट्टानों की दरारों और पेड़ों पर बनाते हैं, और हल्की सी आहट होने पर उड़ जाते हैं। वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर दीप रजवार ने बताते हैं कि यह एक जलमुर्गी है जो तालाब, जलाशय और नदियों में रहना पसंद करते है। इन्हें चकवा, चकवी, कोक, नग, लोहित, चक्रवात, केसर आदि नामों से भी जाना जाता है। पक्षीप्रेमी इन्हें ब्राह्मणी डक व रूडी शेल्डक के नाम से भी जानते हैं। रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास ने इनका वर्णन किया है। यह पक्षी सेंट्रल एशिया, सिक्किम और लद्दाख से यहां शीतकालीन प्रवास पर आते हैं और मार्च अंतिम या अप्रैल आरंभ में वापस अपने इलाकों को लौट जाते हैं। इस सीजन में इन पक्षियों के यहां पहुंचने से पर्यावरण प्रेमी गदगद हैं।