उत्तराखंड देहरादूनGujarat to impose Uniform civil code like Uttarakhand

CM धामी के नक्शे कदम पर चले गुजरात के CM, इलेक्शन के बीच BJP ने बनाया बड़ा गेम प्लान

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चुनाव से ठीक यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) लागू करने को लेकर जो बड़ा दांव चला था, अब ठीक उसी राह पर गुजरात की पटेल सरकार भी चल पड़ी है।

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Image: Gujarat to impose Uniform civil code like Uttarakhand (Source: Social Media)

देहरादून: गुजरात में चुनावी बिगुल बज चुका है। गुजरात में भाजपा वापस से सत्ता में आने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है।

Gujarat to impose Uniform civil code like Uttarakhand

वैसे तो गुजरात में भाजपा हमेशा से वर्चस्व में रही है मगर चुनावों में कब क्या हो जाए और किसकी नैया डूब जाए यह कोई नहीं बता सकता। गुजरात में भाजपा अब ठीक वही रणनीति अपना रही है जिसको अपना कर सीएम धामी ने उत्तराखंड में ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। जी हां, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा चुनाव से ऐनवक्त पहले राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) लागू करने को लेकर जो दांव चला था, अब ठीक उसी राह पर गुजरात की पटेल सरकार भी चल पड़ी है। उत्तराखंड के बाद गुजरात दूसरा ऐसा राज्य हो सकता है जो भविष्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करेगा। चुनावों से ठीक पहले इसको लागू करने से भाजपा सरकार का वोट बैंक बढ़ सकता है। यह रणनीति इससे पहले उत्तराखंड में हुए चुनावों में इस्तेमाल की गई थी। भाजपा ने उत्तराखंड में चुनावों से ठीक पहले यह बड़ा दांव खेलकर चुनावों का रुख ही मोड़ दिया था। विधानसभा चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले दिसंबर, 21 में मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने का ऐलान किया था।

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चुनाव के दौरान उन्होंने इस मुद्दे को खूब उछाला और इसका भाजपा को फायदा भी मिला। 47 विधानसभा सीटों पर जीत के बाद ही दोबारा मुख्यमंत्री की कमान मिलते ही धामी ने सबसे राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की घोषणा की। अब उत्तराखंड में भाजपा की ऐतिहासिक जीत के बाद भाजपा शासित राज्य गुजरात की भूपेंद्र भाई पटेल सरकार ने भी विधानसभा चुनाव से पहले यह दांव खेला है। गुजरात में भाजपा सरकार वर्ष 1995 से लगातार है। इस अवधि में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी तीन बार गुजरात के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उत्तराखंड जैसा फार्मूला अब गुजरात भी अपना रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या गुजरात में भाजपा सरकार फिर से सत्ता में लौटकर सालों से सरकार बनाने के चले आ रहे रिकॉर्ड को बरकरार रखती है या नहीं।