देहरादून: देहरादून की हवा में भी जहर घुल गया है। जैसे दिल्ली में एयर क्वालिटी की धज्जियां उड़ गई हैं ठीक उसी तरह देहरादून में भी प्रदूषण ने बदहाली कर रखी है।
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प्रदूषण बढ़ने की वजह से बीमारियां फैल रही हैं और इसी को को कंट्रोल करने के लिए सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। राजधानी देहरादून और आसपास के क्षेत्रों- हरिद्वार, ऋषिकेश, रुड़की में डीजल से चलने वाले 10 साल पुराने ऑटो-विक्रम अगले साल 31 मार्च के बाद सड़कों से बाहर कर दिए जाएंगे। संभागीय परिवहन प्राधिकरण (आरटीए) की मंगलवार को हुई बैठक में परिवहन विभाग की ओर से तैयार प्रस्ताव को ग्रीन सिग्नल दिया गया है। निर्णय लिया गया कि बाकी बचे सभी डीजल वाले ऑटो-विक्रम 31 दिसम्बर 2023 के बाद नहीं चलेंगे। डीजल संचालित इन ऑटो-विक्रम की जगह सीएनजी की गाड़ियों का संचालन होगा। संभागीय परिवहन प्राधिकरण के अध्यक्ष व मंडलायुक्त सुशील कुमार की अध्यक्षता में हुई बैठक में दून में प्रदूषण की बदहाल हो रही स्थिति पर 18 स्टेट कैरेज रूटों पर पेट्रोल, बीएस वी-5, मानक सीएनजी, इलेक्ट्रिक सार्वजनिक वाहन के संचालन के फेवर में निर्णय लिया गया।
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वहीं राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राजाजी नेशनल रिजर्व में जंगल सफारी के लिए सफारी गाड़ियों के लिए अतिरिक्त परमिट देने पर भी सहमति बनी। इसी के साथ बैठक में कुछ अन्य निर्णय लिए गए जिनमें देहरादून सिटी बसों मैं बुजुर्गों के लिए सीट आरक्षित करने पर भी निर्णय लिया गया। अब सिटी बसों में बुजुर्गों के लिए सीटें आरक्षित होंगी। आरटीए की बैठक में निर्णय लिया गया कि सिटी बसों में महिला यात्रियों की तर्ज पर बुजुर्गों के लिए भी सीटें आरक्षित की जाएंगी। संभागीय परिवहन प्राधिकरण की बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि राजधानी के साथ ही हरिद्वार, ऋषिकेश, रुड़की में सिटी बसों में दिव्यांग यात्रियों के लिए रैंप लगाए जाएंगे, ताकि दिव्यांग यात्री आसानी से बसों में सवार हो कर यात्रा सकेें।