उत्तराखंड चमोली7 Richter scale earthquake may hit Uttarakhand

उत्तराखंड: अगले 5 सालों में आ सकता है 7 रिक्टर स्केल का भूकंप, वैज्ञानिकों ने किया अलर्ट

वैज्ञानिकों का कहना है कि भविष्य में उत्तराखंड में 6 से 7 तीव्रता तक का भूकंप आ सकता है, और ये पांच से दस साल के भीतर हो सकता है। पढ़िए Uttarakhand Earthquake Research Report

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Image: 7 Richter scale earthquake may hit Uttarakhand (Source: Social Media)

चमोली: उत्तराखंड आपदा के लिहाज से बेहद संवेदनशील है। यहां लंबे वक्त से भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं। कभी उत्तरकाशी-बागेश्वर में धरती कांपती है तो कभी पिथौरागढ़ में। मंगलवार को नेपाल में आए भूकंप का असर उत्तराखंड के कई जिलों में देखने को मिला।

7 Richter scale earthquake may hit Uttarakhand

इस बीच वैज्ञानिकों ने एक डराने वाली चेतावनी दी है। वैज्ञानिकों का कहना है कि भविष्य में उत्तराखंड में 6 से 7 तीव्रता तक का भूकंप आ सकता है, और ये पांच से दस साल के भीतर हो सकता है। राज्य में पूर्व में आए बड़ी तीव्रता के भूकंप की बात करें तो 1999 में चमोली में आए भूकंप का मैग्नीट्यूड 6.8, 1991 में उत्तरकाशी में 6.6, 1980 में धारचूला में 6.1 मैग्नीट्यूड के भूकंप आ चुके हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि हिमालयन बेल्ट में फाल्ट लाइन के कारण लगातार भूकंप के झटके आ रहे हैं और भविष्य में बड़े भूकंप की आशंका बनी हुई है। इसी फाल्ट पर मौजूद उत्तराखंड में लंबे समय से बड़ी तीव्रता का भूकंप न आने से यहां बड़ा गैप भी बना हुआ है। इससे हिमालयी क्षेत्र में 6 मैग्नीट्यूड से अधिक के भूकंप के बराबर ऊर्जा एकत्र हो रही है। आईआईटी रुड़की के भूकंप अभियांत्रिकी विभाग के वैज्ञानिक प्रो. एमएल शर्मा बताते हैं कि राज्य में भूकंप की दृष्टि से हुए कैलकुलेशन के परिणाम बता रहे हैं कि राज्य में 6 से 7 मैग्नीट्यूड तक का भूकंप आने का चांस 90 प्रतिशत है। ऐसे में भूकंप से पहले की तैयारियों को पुख्ता किया जाना जरूरी है। भूकंप विज्ञान में भूकंप की आशंका के लिए गुटनबर्ग रिएक्टर कैलकुलेशन का उपयोग किया जाता है। आगे पढ़िए

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Uttarakhand Earthquake Research Report

बड़े भूकंप की आशंका हमेशा बनी रहती है, और लंबे अंतराल के बाद यह आशंका और भी प्रबल हो जाती है। वैज्ञानिक भाषा में 6 तीव्रता के एक भूकंप से निकलने वाली एनर्जी 5 तीव्रता के 30 भूकंपों से निकलने वाली एनर्जी के बराबर होती है। यानी भूकंप की तीव्रता के एक अंक बढ़ने का मतलब है 30 गुना ज्यादा एनर्जी का रिलीज होना। ऐसे में अगर सात तीव्रता का भूकंप आता है कि एनर्जी भी उसी अनुपात में बाहर निकलेगी, और तबाही मचा देगी। बता दें कि भूकंप के लिहाज से उत्तराखंड जोन पांच में आता है। छह नवंबर को भी यहां उत्तरकाशी, देहरादून, रुद्रप्रयाग और टिहरी में 4.7 मैग्नीट्यूड की तीव्रता वाला भूकंप आया था।