उत्तराखंड अल्मोड़ाalmora lamgada syalde gram pradhan resigns after third child

उत्तराखंड: घर में हुई तीसरी संतान, दो प्रधानों को गंवानी पड़ी कुर्सी..BDC मेंबर ने भी दिया इस्तीफा

प्रदेश में पंचायत चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी के लिए दो बच्चों की बाध्यता है। तीसरी संतान होने पर प्रतिनिधि को अयोग्य माना जाता है।

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Image: almora lamgada syalde gram pradhan resigns after third child (Source: Social Media)

अल्मोड़ा: अल्मोड़ा में तीसरी संतान होने पर दो प्रधान और एक बीडीसी मेंबर को त्यागपत्र देना पड़ गया।

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अब इन सभी सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं। प्रदेश में पंचायत चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी के लिए दो बच्चों की बाध्यता है। तीसरी संतान होने पर प्रतिनिधि को अयोग्य माना जाता है। 2019 में हुए पंचायत चुनाव के दौरान लागू अधिसूचना में तीसरी संतान वाले उम्मीदवारों को प्रधान, बीडीसी पद के लिए अपात्र कर दिया गया था। तीन साल बाद भी नए नियम के तहत ऐसे प्रतिनिधियों को अपात्र माना जा रहा है, जिनकी तीन संतानें हैं। पिछले महीने शासन ने ऐसी सीटों की सूची मांगी थी। अब जिन सीटों के प्रतिनिधियों की तीसरी संतान हुई है, उन्हें अपने पद से हटना पड़ेगा। अल्मोड़ा में लमगड़ा ब्लाक के सेल्टाचापड़ में 2019 के पंचायती चुनाव में प्रधान निर्वाचित हुए ग्राम प्रधान की भी इसी साल तीसरी संतान हुई है। आगे पढ़िए

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उन्होंने 12 अगस्त 2022 को त्यागपत्र दिया। स्यालदे ब्लाक के लालनगरी में भी 2019 में निर्वाचित प्रधान की तीसरी संतान हुई है, उन्हें भी बीते दिनों त्यागपत्र देना पड़ा है। लमगड़ा ब्लाक के डोल में 2019 में चुने गए बीडीसी सदस्य ने भी तीसरी संतान होने पर 22 जुलाई 2022 को त्यागपत्र दे दिया था। अब यहां उपचुनाव कराए जाएंगे। गोपाल सिंह अधिकारी, डीपीआरओ अल्मोड़ा ने बताया कि दो प्रधान और एक बीडीसी सदस्य की तीसरी संतान पैदा हो गई थी। नियमों के तहत तीसरी संतान वाले प्रतिनिधि को त्यागपत्र देना जरूरी है। ऐसे में तीनों का त्यागपत्र मिलने के बाद यहां चुनाव करवाए जा रहे हैं। बता दें कि बीते 2021 में हरिद्वार के लक्सर पालिका में भी तीसरी संतान की वजह से सभासद को हटाया गया था।