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देहरादून-हरिद्वार-ऋषिकेश की सड़कों से गायब हो जाएंगे विक्रम, जानिए कब है लास्ट डेट

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून, हरिद्वार और ऋषिकेश में 10 साल पुराने डीजल से चलने वाले ऑटो और विक्रम वाहन नजर नहीं आएंगे।

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Image: Dehradun Rishikesh Haridwar Vikram Ban News (Source: Social Media)

देहरादून: संभागीय परिवहन प्राधिकरण ने दस साल पुराने ऑटो, रिक्शा को अलग-अलग शहरों से हटाने का निर्णय लिया है।

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दस मार्च के बाद उत्तराखंड की राजधानी देहरादून, हरिद्वार और ऋषिकेश में 10 साल पुराने डीजल से चलने वाले ऑटो और विक्रम वाहन नजर नहीं आएंगे। इस फैसले के पीछे की वजह डीजल वाहनों के चलते बिगड़ रही आबोहवा बताई जा रही है। विक्रम-ऑटो चालकों को कहा गया है कि वो सीएनजी, इलेक्ट्रिक और बीएस 6 गाड़ियों के लिए आवेदन कर सकते हैं। शासन के इस फैसले का ऑटो और विक्रम चालक विरोध कर रहे हैं। बात करें राजधानी देहरादून की तो यहां आवाजाही के लिए ज्यादातर विक्रम का इस्तेमाल होता है, जिसे आम जनता की सवारी भी कहा जाता है। अगर यह बंद होंगे, तो इससे जुड़े लोगों की आजीविका पर गहरा असर पड़ेगा। एक रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ देहरादून में ही करीब 800 विक्रम चालकों के परिवार जुड़े हैं। आरटीए को कोई भी फैसला लेने से पहले विक्रम चालकों से चर्चा करनी चाहिए थी, ऐसा होने पर वो भी अपना पक्ष रख पाते। विक्रम चालक आरटीए के फैसले से बेहद परेशान हैं। वो कहते हैं कि उन्होंने कुछ वक्त पहले ही लोन पर विक्रम लिया था, जिसकी किश्त चल रही है। अब उनसे बीएस-6 वाहनों के लिए रजिस्ट्रेशन कराने के लिए कहा जा रहा है। वो लाखों रुपये की नई गाड़ी कैसे खरीदें। आगे पढ़िए

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ऐसे कई विक्रम चालक हैं, जिन्होंने लोन पर गाड़ी खरीदी थी। अब इनके सामने परिवार को पालने का संकट खड़ा हो गया है। बता दें कि पर्यावरण संरक्षण को लेकर एनजीटी की ओर से दिए गए निर्देश के बाद आरटीए ने यह फैसला लिया है। देहरादून के आरटीओ सुनील शर्मा ने जानकारी दी है कि राजधानी में करीब 794 विक्रम पंजीकृत हैं और आरटीए में अब तक सीएनजी, इलेक्ट्रॉनिक व बीएस-6 की सवारी के लिए 65 फीसदी आवेदन किए जा चुके हैं। इससे पहले 1 नवंबर को संभागीय परिवहन प्राधिकरण की बैठक में दस साल से पुराने ऑटो और विक्रम को 31 मार्च 2023 और 10 साल से कम पुराने वाहनों को 31 दिसंबर 2023 तक हटाने की बात कही गई थी। जिसका ऑटो और विक्रम चालक विरोध कर रहे हैं।