देहरादून: 'कांतारा' वो फिल्म जो बॉक्स ऑफिस पर ताबड़तोड़ कमाई कर रही है। कम बजट में बनी इस फिल्म की सफलता ने इतिहास रच दिया है। 16 करोड़ में बनी फिल्म ने 400 करोड़ रुपये का कारोबार किया।
Meenakshi Kandwal Video About Uttarakhand culture and kantara
कांतारा की सफलता ने साबित कर दिया कि आज की फिल्मों के लिए भाषा मायने नहीं रखती। आज हम इस फिल्म के बहाने उत्तराखंड की बात करेंगे। क्योंकि कांतारा में जिस तरह लोक कथाओं को सम्मान दिया गया, वैसा पहले कभी देखने को नहीं मिला। पत्रकार मीनाक्षी कंडवाल ने कांतारा का जिक्र करते हुए उत्तराखंड के आज के जनमानस की सोच को झकझोर देने वाली बात कही है। मीनाक्षी कहती हैं कि कांतारा में ऋषभ शेट्टी ने अपनी लोक कथाओं-परंपराओं को खूबसूरती से उतारा, लेकिन उत्तराखंड में ऐसा कभी नहीं हुआ। कुल देवता-ग्राम देवता उत्तराखंड की लोक परंपराओं का अभिन्न अंग रहे हैं, लेकिन कहीं न कहीं यहां के लोगों ने ही अपनी देव परंपराओं को बिसरा दिया है। आगे देखिए वीडियो
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डायरेक्टर-एक्टर ऋषभ शेट्टी ने गांव के उन लोक देवताओं की बात की, जो आज भी अपने लोगों की रक्षा करते हैं और ये अंधविश्वास नहीं है। उत्तराखंड के लोगों के लिए ये नया नहीं है क्योंकि सालों साल से यहां के लोग उन परंपराओं को आधार मानकर जीवन जीते आ रहे हैं। कांतारा जैसी फिल्म उत्तराखंड में भी बनाई जा सकती थी, लेकिन हकीकत ये है कि हम यहां की लोक परंपराओं को अक्सर इग्नोर कर के निकल जाते हैं। या इन्हें फॉलो करना हमें कूल नहीं लगता। ऋषभ शेट्टी की फिल्म क्रिएटिविटी के फलक पर लोक परंपराओं और लोक कथाओं का सम्मान है। जिसके लिए उन्हें बधाई दी जानी चाहिए। मीनाक्षी ने उत्तराखंड की सिने इंडस्ट्री और हम लोगों की सोच को लेकर बेहद सटीक बात कही है। मीनाक्षी टाइम्स Meenakshi Kandwal नाउ नवभारत में सीनियर एडिटर हैं और उत्तराखंड से जुड़े मुद्दों को लेकर मुखर होकर बोलती-लिखती रही हैं।