उत्तराखंड देहरादूनdehradun BAMS fraud degree case

Dehradun News: 10वीं पास दो भाई बने ‘नटवरलाल’, फर्जीवाड़ें से कई युवाओं को डॉक्टर बना दिया

मुजफ्फरनगर के दो हाईस्कूल पास भाई लाखों रुपये लेकर ग्रेजुएट लोगों को डॉक्टर बना रहे थे। पढ़िए पूरी खबर

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Image: dehradun BAMS fraud degree case (Source: Social Media)

देहरादून: मेडिकल एंट्रेंस एग्जॉम, हर दिन 12 से 15 घंटे की पढ़ाई और साढ़े पांच साल में एमबीबीएस कोर्स करने के बाद कहीं जाकर लोग डॉक्टर बन पाते हैं, लेकिन मुजफ्फरनगर के दो हाईस्कूल पास भाई लाखों रुपये लेकर ग्रेजुएट लोगों को डॉक्टर बना रहे थे।

Dehradun BAMS fraud degree case

फर्जी डिग्रियां बेचकर इन्होंने करोड़ों का साम्राज्य खड़ा कर लिया। बुधवार को एसटीएफ ने देहरादून से दो जाली डॉक्टरों को गिरफ्तार किया था। ये जाली डॉक्टर कर्नाटक की एक यूनिवर्सिटी की फर्जी डिग्री लेकर 10 सालों से रायपुर और प्रेमनगर में प्रैक्टिस कर रहे थे। साथ ही एसटीएफ ने इन्हें डिग्री बेचने वाले एक दलाल इमरान निवासी मुजफ्फरनगर को भी गिरफ्तार किया था। इमरान और उसका भाई मुजफ्फरनगर में कॉलेज चलाते है, जो कि 108 बीघा में फैला हुआ है। दोनों सिर्फ हाईस्कूल पास हैं, लेकिन पैसा बनाने का हुनर खूब जानते हैं। इन्होंने सैकड़ों ग्रेजुएट लोगों को फर्जी डिग्रियां बेचकर डॉक्टर बना दिया। दोनों के और भी अवैध धंधे हैं, जिनके कारण ये उत्तर प्रदेश पुलिस के रडार पर रहते हैं।

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आरोपी इमरान हिस्ट्रीशीटर है। एसटीएफ के एसएसपी आयुष अग्रवाल ने बताया कि इमरान के खिलाफ सबसे पहला मुकदमा वर्ष 2008 में दर्ज किया गया था। यह मुकदमा भी इसी तरह से फर्जी डिग्री बेचने के संबंध में था। उसे एक बार लखनऊ पुलिस ने भी गिरफ्तार किया था। आरोप था कि उसने कई लोगों को फर्जी डिग्रियां बेची हैं। इमरान और उसके भाई ने सिर्फ उत्तराखंड ही नहीं दूसरे कई राज्यों में फर्जी डॉक्टर बनाए हैं। आरोपी के खिलाफ गैंगस्टर में भी कार्रवाई की जा सकती है। ऐसे में नियमानुसार इनकी संपत्तियों को जब्त किया जाएगा। बता दें कि बीते दिनों पकड़े गए दोनों फर्जी डॉक्टर फिलहाल जेल में हैं। इसके अलावा एसटीएफ ने दावा किया है कि प्रदेश में ऐसे 36 डॉक्टर और हैं, जो फर्जी डिग्रियों के आधार पर अपना धंधा चलाकर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।