देहरादून: नकल सिंडिकेट को पैसा देकर दरोगा बनने वाले 20 पुलिसकर्मी अब सस्पेंड हैं।
Uttarakhand daroga recruitment scam
गलत तरीके से नौकरी हासिल करने वाले ये दरोगा अपने-अपने थाना-चौकी में धोखाधड़ी के केसों की जांच कर रहे थे। स्कूली बच्चों और महिलाओं को अपराध नहीं करने का पाठ पढ़ा रहे थे, लेकिन अब पुलिस महकमे ने इन्हीं के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। साल 2015 में दरोगा भर्ती में शामिल हुए 20 दरोगाओं के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई हुई है। पुलिस मुख्यालय के आदेश के बाद संबंधित जिलों के एसएसपी और एसपी ने दरोगा को निलंबित कर दिया है। निलंबित दरोगाओं में कुमाऊं मंडल के 12 दरोगा शामिल हैं। ये सभी कई मामलों की विवेचना कर रहे थे। बदसलूकी के आरोप में रामनगर थाने से हटाए गए नीरज चौहान धोखाधड़ी समेत चार मामलों की विवेचना कर रहे थे। इसी तरह मुक्तेश्वर थाने में तैनात प्रेमा कोरंगा अपहरण का मामला देख रही थीं। आगे भी पढ़िए
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तल्लीताल में तैनात भावना बिष्ट महिला संबंधी अपराधों की जांच कर रही थीं। कुमाऊं के इन 12 दरोगाओं के पास कुल 66 विवेचनाएं थीं। बन्नाखेड़ा चौकी प्रभारी दीपक कौशिक के 22 मामलों समेत ऊधमसिंहनगर के कुल तीन दरोगा 45 मामलों की जांच कर रहे थे। चंपावत के निलंबित दरोगा तेज कुमार के पास शराब, मारपीट, दुर्घटना और नैनीताल जिले के तीन दरोगा पर 12 विवेचनाओँ का जिम्मा था। हल्द्वानी कोतवाली में तैनात आरती पोखरियाल सोशल मीडिया का जिम्मा संभालने के साथ गौरा शक्ति ऐप जागरूकता अभियान से जुड़ी थीं। ऊधमसिंहनगर में दरोगा लोकेश की तैनाती थाना ट्रांजिट कैंप में और हरीश मेहरा की रुद्रपुर के डीसीआरबी में तैनाती थी। जबकि संतोषी मेटरनिटी लीव पर चल रही थीं। बेरिया दौलत थाने में तैनात अर्जुन सिंह के पास एक भी विवेचना नहीं थी। इस तरह दरोगा नीरज चौहान के पास 04, प्रेमा कोरंगा के पास 01, भावना बिष्ट के पास 07, तेज कुमार के पास 09, दीपक कौशिक के पास 22 और जगत शाही के पास 16 मामलों की विवेचना थी। दरोगा भर्ती प्रकरण में इन सभी को निलंबित कर दिया गया है। संबंधित जिलों के एसएसपी-एसपी को विवेचना को अन्य पुलिसकर्मियों को सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।