उत्तराखंड देहरादूनEntry of Bhagat Singh Koshyari in Uttarakhand

उत्तराखंड में ‘भगत दा’ की एंट्री, पैतृक गांव में बनवाया दो कमरों का मकान..जानिए क्या है प्लान

Bhagat Singh Koshyari in Uttarakhand महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी शुक्रवार को मुंबई के राजभवन से विदा होकर देहरादून पहुंचे।

Bhagat Singh Koshyari in Uttarakhand: Entry of Bhagat Singh Koshyari in Uttarakhand
Image: Entry of Bhagat Singh Koshyari in Uttarakhand (Source: Social Media)

देहरादून: महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी शुक्रवार को मुंबई के राजभवन से विदा होकर देहरादून पहुंचे। देर शाम जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने उनका जोरदार स्वागत किया।

Bhagat Singh Koshyari in Uttarakhand

देहरादून पहुंचने पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट समेत अन्य नेताओं ने उनका स्वागत किया है। इधर, भगत दा के उत्तराखंड आने से कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई है। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके भगत सिंह कोश्यारी नैनीताल के सांसद भी रह चुके हैं। उन्हें साल 2019 में महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया गया था। अब जबकि भगत सिंह कोश्यारी राज्यपाल पद की जिम्मेदारी से मुक्त हो चुके हैं तो माना जा रहा है कि वो एक बार फिर उत्तराखंड की राजनीति में सक्रिय हो सकते हैं। बीजेपी के कुछ गुट सक्रिय हो गए हैं तो वहीं कांग्रेस भी अलर्ट मोड पर है। इससे प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर सियासी पारा चढ़ने की आशंका जताई जा रही है। ये भी कहा जा रहा है कि कोश्यारी के उत्तराखंड का रुख करने से बीजेपी की टेंशन बढ़ेगी। आगे पढ़िए

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माना ये भी जा रहा है कि कोश्यारी अब अपने पैतृक गांव लौट सकते हैं, जो कि बागेश्वर के नामती चेटाबगड़ की गुंठी तोक में है। यहां उन्होंने दो कमरों का मकान भी तैयार कराया था। सरकारी अमला भी उनके गांव तक सड़क पहुंचाने के कार्य में जुटा हुआ था। बताया जा रहा है कि पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी अपने गांव में, अपने लोगों के बीच समय व्यतीत करना चाहते हैं। बता दें कि भगत सिंह कोश्यारी का जन्म 17 जून 1942 को बागेश्वर जिले में हुआ था। अल्मोड़ा में शुरुआती पढ़ाई के बाद उन्होंने आगरा यूनिवर्सिटी से अंग्रेज साहित्य में आचार्य की उपाधि प्राप्त की। राज्य गठन के बाद वो प्रदेश के ऊर्जा मंत्री बने। साल 2001 में उन्हें मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दी गई। वो साल 2002 से 2007 तक उत्तराखंड विधानसभा में नेता विपक्ष भी रहे। वर्ष 2008 से 2014 तक वे उत्तराखंड से राज्यसभा के सदस्य चुने गए थे।