उत्तराखंड पिथौरागढ़77 lakes formed due to melting of glacier in pithoragarh Uttarakhand

उत्तराखंड से यूपी तक मच सकती है भारी तबाही, पिथौरागढ़ से मिला खतरे का रेड सिग्नल

ग्लेशियर पिघलने से उच्च हिमालयी क्षेत्र में 77 झीलें बन गई हैं, जो कि कभी भी बड़ी तबाही का सबब बन सकती हैं।

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Image: 77 lakes formed due to melting of glacier in pithoragarh Uttarakhand (Source: Social Media)

पिथौरागढ़: ग्लोबल वॉर्मिंग के असर से हिमालयी क्षेत्रों में ग्लेशियर पिघल रहे हैं। बीते दिनों चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने की कई घटनाएं सामने आईं।

77 lakes formed in pithoragarh

अब कुमाऊं के पिथौरागढ़ जिले से खतरे के संकेत मिल रहे हैं। यहां गोरी गंगा क्षेत्र में ग्लेशियर पिघलने से उच्च हिमालयी क्षेत्र में 77 झीलें बन गई हैं, जो कि कभी भी बड़ी तबाही का सबब बन सकती हैं। ग्लोबल वॉर्मिंग के असर से ग्लेशियर पीछे खिसक रहे हैं। बाढ़ के खतरे को देखते हुए आपदा प्रबंधन विभाग पिथौरागढ़ ने सिंचाई विभाग के साथ मिलकर क्षेत्र के तोली, लुमती, मवानी, डोबड़ी, बरम, साना, भदेली, दानी बगड़, सेरा, रोपाड़, सेराघाट, बगीचाबगड़, उमड़गाड़, बंगापानी, देवीबगड़, छोडीबगड़, घट्टाबगड़, मदकोट, तल्ला मोरी सहित अन्य गांवों को आपदा की दृष्टि से अतिसंवेदनशील गांव घोषित किया है। बता दें कि कुमाऊं विवि डीएसबी परिसर भूगोल विभाग के डॉ. डीएस परिहार ने 2017 से 2022 तक उच्च हिमालयी क्षेत्र में ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों का गहन अध्ययन किया है, जिसके नतीजे चिंता बढ़ाने वाले हैं। अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार गोरी गंगा क्षेत्र के मिलम, गोंखा, रालम, ल्वां एवं मर्तोली ग्लेशियर सहित अन्य सहायक ग्लेशियर भी ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव की चपेट में हैं। आगे पढ़िए

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77 ग्लेशियर पर अब तक ऐसी झील बन चुकी हैं, जिनका व्यास 50 मीटर से अधिक है, जीआईएस रिमोट सेसिंग तथा सेटेलाइट फोटोग्राफ के जरिए इसका पता चला है। सर्वाधिक 36 झीलें मिलम में, सात गोंखा में, 25 रोलम में, तीन ल्वां में तथा छह झीलें मर्तोली ग्लेशियर में मौजूद हैं। झीलों का दायरा बढ़ रहा है, नई झीलों का निर्माण भी तेजी से हो रहा है। गोंखा ग्लेशियर में निर्मित झील का व्यास 2.78 किलोमीटर है। यह झील भविष्य में किसी भी भूगर्भीय गतिविधि की वजह से गोरी गंगा के घाटी क्षेत्र में भीषण तबाही मचाने की ताकत रखती है। गोरी गंगा घाटी पिछले दस सालों से आपदा के प्रभाव से हुए नुकसान को झेल रही है। अब यहां एक बार फिर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में यहां के लोगों की सुरक्षा के लिए समय रहते मजबूत कदम उठाने और बेहतर रणनीति बनाने की जरूरत है।