उत्तराखंड श्रीनगर गढ़वालProtest against blasting in Rishikesh Karnprayag rail line Tunnel

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन टनल के भीतर घुसे गुस्साए लोग, अधिकारियों के हाथ-पांव फूले

Rishikesh Karnprayag rail line Tunnel निर्माण के लिए कंपनी बड़ी मात्रा में विस्फोटकों का इस्तेमाल कर रही है, जिससे लोगों के घरों में बड़ी-बड़ी दरारें आ गई हैं।

rishikesh karnprayag rail line: Protest against blasting in Rishikesh Karnprayag rail line Tunnel
Image: Protest against blasting in Rishikesh Karnprayag rail line Tunnel (Source: Social Media)

श्रीनगर गढ़वाल: श्रीनगर में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन प्रोजेक्ट के तहत बन रही टनल का विरोध जारी है। लगातार हो रहे ब्लास्ट से लोगों के घरों में दरारें पड़ गई हैं।

Rishikesh Karnprayag rail line Tunnel

बच्चे और बुजुर्ग डरे हुए हैं। बीते दिन निर्माण कार्य के विरोध में स्थानीय लोग टनल के भीतर जा घुसे और अधिकारियों को जमकर खरीखोटी सुनाई। श्रीनगर में जीएनटीआई ग्राउंड के नीचे से रेलवे विकास निगम की कार्यदायी कंपनी ऋतिक कंपनी टनल की खुदाई का काम करा रही है। खुदाई के लिए कंपनी बड़ी मात्रा में विस्फोटकों का इस्तेमाल कर रही है, जिससे श्रीनगर-श्रीकोट सहित अन्य इलाकों में रह रहे लोगों के घरों में बड़ी-बड़ी दरारें आ गई हैं। इससे गुस्साए लोगों ने जीएनटीआई की टनल में जबरन घुसकर जिला प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। ब्लास्टिंग को लेकर लोगों में आक्रोश है। स्थानीय निवासी बसंती जोशी ने कहा कि हम रोज-रोज शिकायत करके थक चुके हैं। ब्लास्टिंग हर दिन बढ़ती ही जा रही है। आगे पढ़िए

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उन्होंने कहा कि प्रशासन ने जांच कमेटी का गठन भी किया था, लेकिन इस कमेटी ने लोगों की सुने बिना ही रिपोर्ट तैयार कर दी। शहर में रहने वाली सुधा तिवारी का भी यही कहना है। उन्होंने कहा कि ब्लास्टिंग से बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक डरे हुए हैं और बच्चे पढ़ नहीं पाते। घरों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गई हैं। प्रशासन ने अब भी सुध नहीं ली तो वो सुरंग के अंदर बच्चों के साथ धरने पर बैठ जाएंगी। आने वाले दिनों में जो भी होगा उसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। वहीं मामले को लेकर रेलवे विकास निगम के प्रबंधक विनोद बिष्ट ने कहा कि सीबीआरआई और आईआईटी रुड़की की टीम ने पूरे क्षेत्र का निरीक्षण किया था। जिसकी रिपोर्ट सरकार को दी जा रही है। विशेषज्ञों की सलाह पर अब छोटे-छोटे चरणों में ब्लास्टिंग की जा रही है। ब्लास्टिंग की तीव्रता को कम किया गया है।