उत्तराखंड पौड़ी गढ़वालOscar Award The Elephant Whisper Cinematographer Karan Thapliyal

उत्तराखंड का होनहार: कभी पिता ने पकड़ाया था कैमरा, आज बेटे ने ऑस्कर अवॉर्ड में कमाया नाम

पिछले साल Karan Thapliyal की सिनेमेटोग्राफी की हुई एक डॉक्यूमेंट्री ‘राइटिंग विद फायर' भी ऑस्कर के लिए नामित हुई थी। इस साल The Elephant Whisper को Oscar Award मिल गया

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Image: Oscar Award The Elephant Whisper Cinematographer Karan Thapliyal (Source: Social Media)

पौड़ी गढ़वाल: ‘द एलिफेंट व्हिस्पर्स’ ने ऑस्कर अवॉर्ड में इतिहास रच दिया। फिल्म को शॉर्ट फिल्म डॉक्यूमेंट्री कैटेगरी में ऑस्कर अवॉर्ड मिला। इस फिल्म ने पूरे विश्व में भारत का गौरव बढ़ाया है।

Cinematographer Karan Thapliyal The Elephant Whisper

आज आपको ‘द एलिफेंट व्हिस्पर्स’ और ऑस्कर अवॉर्ड के उत्तराखंड कनेक्शन के बारे में भी बताते हैं। दरअसल ये फिल्म जिस कैमरे से शूट हुई है, उसके पीछे उत्तराखंड के लाल करन थपलियाल की मेहनत शामिल है। करन पौड़ी के नौगांव के रहने वाले हैं, वर्तमान में उनका परिवार दिल्ली में रहता है। अब उनके द्वारा शूट की गई फिल्म ऑस्कर अवॉर्ड जीत गई है। डॉक्यूमेंट्री को फिल्माने में उन्होंने अपने कैमरे का कमाल दिखाया है। करन बताते हैं कि उनके पिता फोटोग्राफर थे। पिता को देखकर ही उन्होंने कैमरे के बारीकियां सीखीं। आगे पढ़िए

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सिनेमेटोग्राफी की शुरुआती शिक्षा-दीक्षा पिता से लेने के बाद करन से इस क्षेत्र में ही कॅरिअर बनाने की ठानी, और आज वो ऑस्कर तक का सफर तय कर चुके हैं। करन द्वारा शूट की गई डॉक्यूमेंट्री इससे पहले भी खूब चर्चा में रही हैं। पिछले साल उनकी सिनेमेटोग्राफी की हुई एक डॉक्यूमेंट्री ‘राइटिंग विद फायर' भी ऑस्कर के लिए नामित हुई थी, लेकिन अवॉर्ड नहीं मिल पाया था। वर्ष 2018 में नेट जियो पर उनकी एक डॉक्यूमेंट्री ‘द प्रेसीडेंट बॉडीगार्ड’ का प्रसारण हुआ था, जो खूब चर्चाओं में रही थी। करन का उत्तराखंड से अटूट लगाव है और जब भी समय मिलता है वो उत्तराखंड घूमने जरूर आते हैं। बता दें कि ‘द एलिफेंट व्हिस्पर्स’ नेटफ्लिक्स डॉक्यूमेंट्री है। जिसे कार्तिकी गोंसालविज ने निर्देशित और गुनीत मोंगा ने प्रोड्यूस किया है। इसकी कहानी अकेले छोड़ दिए गए हाथी और उनकी देखभाल करने वालों के बीच अटूट बंधन को दिखाती है।