चमोली: उत्तराखंड के इतिहास में भारत-चीन के बीच वर्ष 1962 से क़ई वीर गाथाएं जुड़ी हैं। उसी युद्ध में वीर योद्धा महावीर चक्र विजेता जसवंत सिंह रावत महज 21 वर्ष की उम्र में शहीद हो गए थे।
Nayak Balwant Singh Bisht Passed Away
उसी युद्ध मे उनके दोस्त बलवंत सिंह ने उनके साथ कदम से कदम मिला कर दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिए। 86 साल की उम्र में उन्होंने बीते शनिवार को अंतिम सांस ली। वह पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे। बता दें कि वे मूल रूप से चमोली जिले के दूरस्थ गांव घेस के रहने वाले थे। वर्तमान में वे अपने बड़े बेटे वरिष्ठ पत्रकार अर्जुन सिंह बिष्ट के साथ देहरादून के लोअर नत्थनपुर स्थित श्री सिद्ध विहार कॉलोनी में रह रहे थे। उन्होंने भी अपने साथी जसवंत सिंह के साथ 1962 में युद्ध में चाइना के सैनिकों के दांत खट्टे किए थे। उन्होंने वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी दुश्मनों को सबक सिखाया।
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नायक बलवंत सिंह बिष्ट वर्ष 1959 में चौथी गढ़वाल राइफल्स में भर्ती हुए थे। उनको दो साल बाद ही चीन से युद्ध लड़ने के लिए चुना गया। राइफल मैन जसवंत सिंह और नायक बलवंत सिंह एक ही साथ में थे और युद्ध के मोर्चे पर भी साथ-साथ तैनात रहे। वर्ष 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भाग लेने के बाद वह वर्ष 1969 में सेवानिवृत्त हो गए। लेकिन, वर्ष 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध होने पर उन्हें फिर सेना में युद्ध लड़ने बुलाया गया। वे 1979 में डीएसी में भर्ती हो गए और 15 साल की सेवा के बाद वर्ष 1993 में सेवानिवृत्त हुए। उनके निधन से उनके परिवार में शोक पसर गया है। वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आवास पहुंचकर नायक बलवंत सिंह को श्रद्धांजलि दी।