उत्तराखंड रुद्रप्रयागpandavasera track uttarakhand guide route map

उत्तराखंड का सबसे रहस्यमयी ट्रैक, यहां पांडवो ने बोई थी धान, आज भी वैसे ही उगती है

पांडवसेरा मशहूर ट्रैकिंग रूट है। यहां आज भी पांडवों के आगमन के सबूत देखे जा सकते हैं। आप भी पढ़िए पूरी जानकारी

Pandavasera Track Uttarakhand: pandavasera track uttarakhand guide route map
Image: pandavasera track uttarakhand guide route map (Source: Social Media)

रुद्रप्रयाग: महाभारत...श्रीकृष्ण की लीला और पांडवों की कहानियां हम अक्सर बड़े-बुजुर्गों से सुनते आए हैं, उत्तराखंड में ऐसी कई जगहें हैं जिनका संबंध पांडवों से जोड़ा जाता है।

Pandavasera Track Uttarakhand route Ma

p यहां आज भी उस युग की निशानियां देखने को मिलती हैं। आज हम आपको एक ऐसी ही जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कि लोगों के लिए अब भी रहस्य बनी हुई है। हम बात कर रहे हैं पांडवसेरा की। प्राकृतिक सौंदर्य से मन को मोह लेने वाली ये जगह गढ़वाल के रुद्रप्रयाग जिले में है। यहां आज भी पांडवों के अस्त्र-शस्त्रों की पूजा की जाती है। इस जगह को लेकर एक और मान्यता है। कहते हैं कि द्वापर युग में यहां पांडवों ने धान की फसल उगाई थी, जो आज भी अपने आप उगती है। आगे पढ़िए

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पकने के बाद धान की ये फसल धरती में समा जाती है। इस रहस्यमयी घटना को देखने के लिए सैलानी यहां दूर-दूर से पहुंचते हैं, लेकिन यह दृश्य देख पाना हर किसी के लिए संभव नहीं होता। पांडवसेरा में आज भी पांडवों के आगमन के सबूत देखे जा सकते हैं। पांडवसेरा से 5 किलोमीटर दूर बने नंदी कुंड में स्नान करने से अंतःकरण शुद्ध होने की मान्यता है। पांडव सेरा एक प्रसिद्ध ट्रैकिंग रूट है। बरसात में यहां ब्रह्मकमल समेत कई तरह के पुष्प खिलते हैं। कहा जाता है कि केदारनाथ धाम में जब पांडवों को भगवान शंकर के पृष्ठ भाग के दर्शन हुए तो पांडवों ने द्रौपदी सहित मद्महेश्वर धाम होते हुए मोक्ष धाम बद्रीनाथ के लिए प्रस्थान किया था। मद्महेश्वर में पांडवों ने अपने पूर्वजों का तर्पण किया था, इसके साक्ष्य आज भी यहां एक शिला पर मौजूद हैं।