उत्तराखंड पौड़ी गढ़वालPauri Garhwal Paramjay Rawat Mananjay Rawat Farming Story

गढ़वाल: दिल्ली छोड़ वापस आई दो भाई, 500 नाली बंजर जमीन पर उगाया सोना, गांव में लौटी रौनक

दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन फिर सताने लगी पहाड़ों की याद, अब गांव लौट कर दे रहे हैं स्वरोजगार की अनोखी मिसाल, मिलिए पौड़ी के रावत ब्रदर्स से

Paramjay Rawat Mananjay Rawat: Pauri Garhwal Paramjay Rawat Mananjay Rawat Farming Story
Image: Pauri Garhwal Paramjay Rawat Mananjay Rawat Farming Story (Source: Social Media)

पौड़ी गढ़वाल: अगर मन में कुछ ठान लो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है। यह साबित किया है श्रीनगर के दो युवाओं ने। हम सब जानते हैं कि उत्तराखंड में पलायन कितनी बड़ी समस्या है गांव के गांव खाली हो रहे हैं। घोस्ट विलेज की तादाद दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

Pauri Garhwal Paramjay Rawat Mananjay Rawat Story

खासकर की पौड़ी जिले में सबसे ज्यादा पलायन हो रहा है। पौड़ी जिला उत्तराखंड के सभी जिलों में पलायन के मामले में नंबर वन पर है और सबसे ज्यादा पलायन इसी जिले से हुआ है। मगर अब युवाओं के बीच में अपनी संस्कृति और अपनी मिट्टी के बीच रहने का जुनून सवार हो गया है और वह अपनी देवभूमि के लिए दिल से कुछ करना चाहते हैं। आज हम आपको पौड़ी गढ़वाल के दो ऐसे ही होनहार युवकों से मिलवाने जा रहे हैं जिन्होंने दिल्ली में रहकर दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करते हुए पलायन की समस्या को करीब से महसूस किया और पढ़ाई खत्म करने के बाद वे वापस अपने गांव की ओर लौट गए हैं। जिसके बाद से वह स्वरोजगार की नई मिसाल समाज के आगे पेश कर रहे हैं। हम बात कर रहे हैं पौड़ी के घंडियाल गांव के परमजय रावत और मनजंय रावत की। दोनों युवाओं में दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन पूरी की और उसके बाद उनको लगा कि उनको देवभूमि में जाकर स्वरोजगार की राह पर आगे बढ़ना चाहिए। ऐसे में दोनों अपने गांव की और लौट गए हैं और स्वरोजगार की जीती जागती मिसाल हमारे आगे पेश कर रहे हैं।

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इन युवाओं ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने के बाद अपने गांव लौट कर बंजर भूमि को आबाद कर दिया है।यह दोनों पिछले 5 सालों से लगातार गांव में कृषि बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन इत्यादि कर रहे हैं। 5 सालों में इनका काम इतना अच्छा चला है कि उन्होंने अपने गांव में ही होमस्टे भी खोल लिया है। दोनों युवकों ने करीब 500 नाली बंजर भूमि को खेती योग्य बनाकर इस पर खेती करना शुरू किया है। इसी के साथ ही में पशुपालन और मत्स्य पालन भी कर रहे हैं और अब होमस्टे बनाकर पहाड़ी क्षेत्र में रोजगार उत्पन्न का काम भी कर रहे हैं। परमजय रावत का कहना है कि उनके प्रयासों को देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और मंत्री सुबोध उनियाल समेत कई अन्य मंत्री भी उनके गांव में पहुंचे और उनके प्रयासों को सराहा। दोनों युवकों का कहना है कि पहाड़ों पर स्वरोजगार के असीमित संभावनाएं मौजूद हैं। बस कमी है तो किसी चीज की शुरुआत करने की। उन्होंने कहा कि खेती में भी अथवा संभावनाएं मौजूद हैं। मगर इसके लिए युवाओं को इच्छाशक्ति के साथ ही दिलचस्पी भी दिखानी होगी और कड़ी मेहनत करनी होगी। वहीं पलायन निवारण आयोग के सदस्य दिनेश रावत ने भी इन दोनों युवाओं के प्रयासों को खूब सराहा है और कहा है कि लोगों को इन युवाओं से सीख लेनी चाहिए।