उत्तराखंड पिथौरागढ़Mosta Devta Temple Pithoragarh Tracking Route Map Guide

उत्तराखंड में मौजूद है देवराज इंद्र के पुत्र मोस्टा देवता का मंदिर, बेहद खूबसूरत है ये ट्रैक

जानिए पिथौरागढ़ के वर्षा देवता ' मोस्टा देवता ' के मंदिर का इतिहास, इनको कहते हैं इंद्र देव का उत्तराधिकारी

Mosta Devta Temple Pithoragarh: Mosta Devta Temple Pithoragarh Tracking Route Map Guide
Image: Mosta Devta Temple Pithoragarh Tracking Route Map Guide (Source: Social Media)

पिथौरागढ़: उत्तराखंड का पिथौरागढ़ बेहद खूबसूरत है मगर देवभूमि उत्तराखंड में नैसर्गिक सुंदरता के साथ ही यहां क़ई पौराणिक और ऐतिहासिक मंदिर भी मौजूद हैं जिनका अस्तित्व कई सैकड़ों वर्ष पहले से है।

Mosta Devta Temple Pithoragarh

आज हम आपको प्रसिद्ध जिले पिथौरागढ़ में एक मंदिर के बारे में बताएंगे। यह मंदिर आपको ट्रैकिंग के साथ ही वर्षा के देवता कहे जाने वाले 'मोस्टा देवता' के दर्शन व उनकी मान्यता से रूबरू कराएगा। ‘मोस्टमानु मंदिर’ पिथौरागढ़ मुख्य शहर से करीब सात किलोमीटर की दूरी पर चंडाक नामक पहाड़ी पर स्थित है। मोस्टा देवता को पिथौरागढ़ का सबसे शक्तिशाली देवता माना जाता है। करीब 2 से 3 किलोमीटर देवदार के वृक्षों से भरा ये ट्रैक आपका मन भी मोह लेगा। इस ट्रैक पर आपको हर तरफ पर्वत शिखर, चौड़ी-चौड़ी घाटियां देखने को मिलेंगी। इस मंदिर के साथ एक रोचक लोककथा भी जुड़ी हुई है। मान्यता है कि 'मोस्टा देवता' को वर्षा के देवता इंद्र का पुत्र माना जाता है। साथ ही मोस्टा देवता की मां कालिका हैं जो भूलोक पर मोस्टा देवता के साथ निवास करती हैं। देवराज इंद्र ने भूलोक पर भोग प्राप्त करने के लिए मोस्टा को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया है इसलिए यहां के लोग इन्हें वर्षा का देवता मानते हैं। आगे पढ़िए

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Mosta Devta Route Map Pithoragarh

कुछ मान्यताएं भी इस मंदिर से जुड़ी हैं। ग्रामीणों का मानना है कि कई सदियों पहले आसपास के इलाके में भयंकर सूखा और अकाल पड़ा था जिससे परेशान लोगों ने मोस्टा देवता की पूजा कर उन्हें प्रसन्न किया और मोस्टा देवता की कृपा से क्षेत्र में बारिश हुई इसलिए यहां हर साल अगस्त व सितंबर माह के बीच ऋषि पंचमी के अवसर पर तीन दिनों तक चलने वाला मोस्टामानू मेले का उत्सव आयोजित किया जाता है। इस समय बारिश के देवता मोस्टा की पालकी यहां के स्थानीय लोगों द्वारा निकाली जाती है व बारिश के देवता से आशीर्वाद मांगा जाता है। इस मेले में शामिल होने के लिए दूर-दूर से लोग यहां चलकर आते हैं।

कैसे पहुंचे मोस्टा देवता मंदिर?

यहां पहुंचने के लिए आप पिथौरागढ़ से निकटतम रेलवे जो कि 138 किलोमीटर की दूरी पर “टनकपुर” से टैक्सी या बस द्वारा पहुंच सकते हैं। वाया बस भी आप पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय तक जा सकते हैं और फिर वहीं से टैक्सी या बस कर सकते हैं।