उत्तराखंड रुद्रप्रयागGuptkashi Kashi Vishwanath Temple Story

उत्तराखंड: गुप्तकाशी में गुप्त हो गए थे भोलेनाथ, यहां से कोई खाली हाथ नहीं जाता, आप भी आइए

रुद्रप्रयाग के गुप्तकाशी में भोलेनाथ गुप्त हो गए थे, इसलिए यह शहर गुप्तकाशी कहलाया। इस शहर से कई पौराणिक मान्यताएं जुड़ी हैं।

Guptkashi Kashi Vishwanath Temple : Guptkashi Kashi Vishwanath Temple Story
Image: Guptkashi Kashi Vishwanath Temple Story (Source: Social Media)

रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड में ऐसी कई जगहें हैं जिनका संबंध महाभारत और पांडवों से जोड़ा जाता है। यहां आज भी उस युग की निशानियां देखने को मिलती हैं।

Guptkashi Kashi Vishwanath Temple Story

आज हम आपको एक ऐसी ही जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका संबंध भगवान शिव और पांडवों से है। हम बात कर रहे हैं रुद्रप्रयाग जिले में स्थित गुप्तकाशी शहर की, जिसे कई पौराणिक कहानियों का साक्षी माना जाता है। ऊखीमठ के ठीक सामने दिखाई देने वाला ये शहर अगस्त्यमुनि से कुछ ही किलोमीटर दूर 4850 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। केदारनाथ से महज 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस शहर में सालभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। यहां स्थित विश्वनाथ मंदिर और अर्धनारीश्वर मंदिर में दर्शन करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है। गुप्तकाशी को यह नाम कैसे मिला, इसके पीछे भी एक मान्यता है। कहते हैं कि उत्तरकाशी में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर में भगवान शंकर प्रकट हुए थे, इसलिए उन्हें प्रकट काशी के नाम से जाना जाता है, जबकि रुद्रप्रयाग के गुप्तकाशी में भोलेनाथ गुप्त हो गए थे, इसलिए यह गुप्तकाशी कहलाया। महाभारत के युद्ध में कौरवों की हत्या के बाद पांडवों को गोत्र हत्या का पाप लग गया था। इसके निवारण के लिए वो भगवान शिव की खोज में निकले थे, लेकिन भगवान शिव पांडवों से मिलना नहीं चाहते थे। आगे पढ़िए

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Guptkashi Kashi Vishwanath Temple

उस वक्त भोलेनाथ इसी गुप्तकाशी नामक स्थान पर ध्यान मग्न थे और जब भगवान को पता चला कि पांडव इसी स्थान पर आ रहे हैं, तो वह यहीं से नंदी रूप धारण कर अंतर्ध्यान हो गए। तब से इस जगह को गुप्तकाशी के नाम से जाना जाता है। विश्वनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी गंगाधर लिंग कहते हैं कि मंदिर के निकट ही बाई ओर से गुप्त गंगा और दाई ओर से गुप्त यमुना बहती है, जिनका मिलन निकट ही स्थित मणिकर्णिका कुंड में होता है। गुप्तकाशी पहुंचने के लिए आप सड़क मार्ग का इस्तेमाल कर सकते हैं। यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है। वहां से आप कार या बस से गुप्तकाशी आ सकते हैं। नजदीकी एयरपोर्ट देहरादून में है। आप वहां से भी बस या टैक्सी के माध्यम से गुप्तकाशी के दर्शन के लिए पहुंच सकते हैं। यह क्षेत्र उत्तराखंड के प्रमुख स्थलों से सड़कों द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।