उत्तराखंड ऋषिकेशIndias first glass bridge is being built in Rishikesh

ऋषिकेश में बन रहा है देश का पहला ग्लास ब्रिज, जानिए बजरंग सेतु प्रोजक्ट की खास बातें

Rishikesh Glass Bridge जहां रस्सियों के सहारे लक्ष्मण जी ने पार की थी नदी, अब बन रहा देश का पहला कांच का पुल, लक्ष्मण झूला का इतिहास

Rishikesh Glass Bridge: Indias first glass bridge is being built in Rishikesh
Image: Indias first glass bridge is being built in Rishikesh (Source: Social Media)

ऋषिकेश: ऋषिकेश...यह शहर बाकी शहरों से अलग है। यहां का इतिहास, माहौल और यहां का वातावरण, हर किसी को अपनी तरफ खींचता है। हर किसी की पसंदीदा जगहों में से एक ऋषिकेश योगभूमि के रूप में विख्यात है।

Rishikesh Bajrang Setu glass bridge Work in Progress

आध्यात्मिक और धार्मिक रूप से भी यहां लोग खूब आते हैं। अगर ऋषिकेश में कुछ सबसे ज्यादा लोकप्रिय है तो, वो हैं लक्ष्मण और राम झूला। जो भी यहां आता है, वो इन दो जगह ज़रूर जाता है। मगर बीते कुछ महीनों से लक्ष्मण झूला को आवाजाही के लिए बंद कर दिया गया है। पुल में आई दरारों ओर टूटती रस्सियों की वजह से इसे फिलहाल के लिए बंद कर दिया गया और इसकी जगह पर कांच का नया पुल बनाया जा रहा है। ये पुल भारत का पहला ग्लास ब्रिज यानी कांच का पुल होगा। इस कांच के पुल का नाम बजरंग सेतु होगा। इस झूले को मॉडर्न तकनीकी से लैस किया जा रहा है। लेकिन पुराना पुल, पुराना ही होता है। लक्ष्मण झूला ऐतिहासिक पुल है। 94 साल पुराना लक्ष्मण झूला अब भले ही लोगों के आने-जाने के लिए बंद कर दिया गया हो, लेकिन इसका इतिहास बहुत पुराना है। इसका निर्माण अंग्रेजों के जमाने में हुआ था। लक्ष्मण झूला 1929 में बनकर तैयार हो गया था। 1923 में इस पुल की नींव ब्रिटिश सरकार के कार्यकाल के दौरान पड़ी थी, लेकिन तेज बाढ़ के चलते साल 1924 में इसकी नींव ढह गई थी। इसके बाद एक बार फिर से इस पुल की नींव 1927 में रखी गई थी और 1929 में बनकर ये पुल तैयार हो गया था। यह पुल 11 अप्रैल 1930 को लोगों के लिए खोल दिया गया। खास बात ये है कि पहले इस पुल का निर्माण जूट की रस्सी से हुआ था। बाद में इसे कंक्रीट और लोहे की तारों से मजबूत बना दिया गया। आगे पढ़िए

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Indias first glass bridge in Rishikesh

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि एक समय में, भगवान राम के भाई लक्ष्मण जी ने उसी जगह पर गंगा नदी पार की थी, जहां पुल का निर्माण किया गया है। मान्यताओं के अनुसार लक्ष्मण जी ने मात्र दो रस्सियों के सहारे नदी को पार किया था। बाद में इस रस्सी की जगह नदी पार करने के लिए पुल का निर्माण कराया गया और इसका नाम पड़ा लक्ष्मण झूला। सबसे पहले ये जूट की रस्सी से बना था। गंगा नदी के ऊपर बना यह पुल 450 फीट लंबा झूलता हुआ पुल है। शुरू में यह जूट के रस्सों से बना था, लेकिन बाद में इसे लोहे की तारों से मजबूत बनाया गया। अब इस पुल की जगह कांच के पुल का निर्माण हो रहा है।लक्ष्मण झूला तीन अप्रैल 2022 को लोगों के आने-जाने के लिए पूरी तरह से बंद कर दिया गया। इसकी जगह पर तेजी से पहले कांच के पुल का निर्माण किया जा रहा है। लक्ष्मण झूला बंद होने की वजह से लोगों को परेशानी हो रही है। गंगा आरती देखने के लिए त्रिवेणी घाट जाने वालों के लिए कठिनाई खड़ी हो गई है। ऐसे में कांच का पुल जल्द बनाया जाएगा। मगर अब भी जब ऋषिकेश जाना होगा, तो दूर तक उस पुराने लोहे के लक्ष्मण झूले पर खड़े होकर गंगा नदी को देर तक निहारना बड़ा याद आएगा।