हरिद्वार: ऐसी तबाही कभी नहीं देखी’ हरिद्वार के लोगों की जुबान पर इन दिनों यही शब्द हैं। यहां जीवनदायिनी गंगा नदी ने रौद्र रूप ले लिया है।
Ganga river crosses danger mark in Haridwar
भीमगोड़ा बैराज से डिस्चार्ज बढ़ने के बाद तटीय इलाकों में बसे 70 से 80 गांव बाढ़ की चपेट में हैं। कई गांव और कॉलोनियां पानी में डूब गई हैं। लोगों को अलर्ट करने के साथ ही तटीय इलाकों से लोगों को शिफ्ट करने का काम भी जारी है। बारिश के बाद रुद्रप्रयाग से अतिरिक्त 5600 क्यूमैक्स जल छोड़े जाने के बाद गंगा का जलस्तर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। इससे न सिर्फ हरिद्वार बल्कि यूपी के निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा और बढ़ गया है। नमामी गंगे घाट पानी में डूब गया है, कई दूसरे घाट भी जलमग्न हैं। सोमवार दोपहर दो बजे भीमगोड़ा बैराज पर गंगा का जलस्तर 295.70 मीटर दर्ज किया गया। इस दौरान गंगा उच्चतम बाढ़ के निशान से मात्र 60 सेंटीमीटर नीचे बह रही थी। बैराज से निचले इलाकों में 373130 क्यूसेक जल का डिस्चार्ज किया गया। साल 2013 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि भीमगोड़ा बैराज के सभी 22 गेट खोलने पड़े हैं।
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शनिवार और रविवार की रात गंगा का जलस्तर चेतावनी निशान से ऊपर 293.05 मीटर पर पहुंच गया। रविवार रात गंगा खतरे के निशान को पार कर गई। इस दौरान गंगा का जलस्तर 294.40 मीटर दर्ज हुआ। सोमवार दोपहर एक बजे गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से एक मीटर ऊपर चला गया। दोपहर दो बजे गंगा का जलस्तर 295 मीटर दर्ज किया गया। बैरागी कैंप जलमग्न हो गया है। एनएचएआई का प्लांट भी गंगा के जल में डूब गया। प्लांट में मौजूद 200 कर्मचारियों ने प्लांट की छत पर चढ़कर जान बचाई। प्रशासन की टीम ने इन्हें जेसीबी की मदद से रेस्क्यू किया। बैरागी कैंप कॉलोनी के साथ ही पुलिस घुड़सवार लाइन भी गंगा के जल में डूबी दिख रही है। हरिद्वार में लक्सर, खानपुर, श्यामपुर और गैंडीखाता समेत तमाम तटीय इलाके बाढ़ के पानी में डूब गए हैं। अधिकारी मौके पर पहुंचे हुए हैं। डीएम ने गंगा किनारे रहने वाले लोगों से सुरक्षित जगहों पर पहुंचने का आग्रह किया है।