उत्तराखंड बागेश्वरInstructions for action against IAS Anuradha Pal

उत्तराखंड: IAS अनुराधा की मुश्किलें बढ़ना तय, IAS दीपक रावत को मिले कार्रवाई के निर्देश

बागेश्वर उप चुनाव के रिजल्ट से पहले जिले की डीएम एवं जिला निर्वाचन अधिकारी अनुराधा पाल की मुश्किलें बढ़ गई हैं। जानिए पूरा मामला

IAS Anuradha Pal action: Instructions for action against IAS Anuradha Pal
Image: Instructions for action against IAS Anuradha Pal (Source: Social Media)

बागेश्वर: बीते दिन 5 सितंबर को बागेश्वर विधानसभा में उप चुनाव संपन्न हुआ।

action against IAS Anuradha Pal

पांचों प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम में कैद हो गया है, लेकिन रिजल्ट से पहले बागेश्वर जिले की डीएम एवं जिला निर्वाचन अधिकारी अनुराधा पाल की मुश्किलें बढ़ गई हैं। 4 सितंबर को उनके खिलाफ माकपा (माले) उत्तराखंड के राज्य सचिव इंद्रेश मैखुरी ने भारत निर्वाचन आयोग से शिकायत की थी। जिसमें उन्होंने कहा कि बागेश्वर में उपचुनाव से पहले उन्हें प्रेस कांफ्रेस की अनुमति देने में आनाकानी की गई। प्रशासन ने ये शर्त तक रख दी कि प्रेस कांफ्रेस में वो जो भी कहेंगे, वो पहले हाथ से पेपर पर लिखकर देना होगा। इसके अलावा भी तमाम गंभीर आरोप डीएम और अधीनस्थ अधिकारियों पर लगाए गए थे। ताजा अपडेट ये है कि शिकायतकर्ता द्वारा भारत निर्वाचन आयोग में की गई शिकायत का भारत निर्वाचन आयोग ने संज्ञान लिया है। कुमाऊं कमिश्नर को पत्र भेजकर आवश्यक कार्यवाही करने एवं सम्बन्धित जिला मजिस्ट्रेट को आवश्यक निर्देश दिये जाने के निर्देश दिये गए हैं। आगे पढ़िए

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बता दें कि माकपा नेता इंद्रेश मैखुरी ने आरोप लगया था कि भाकपा, माकपा और भाकपा(माले) की ओर से 29 अगस्त 2023 को उत्तराखंड के मुख्य निर्वाचन अधिकारी महोदय को पत्र भेज कर 1 सितंबर 2023 को बागेश्वर में प्रेस कांफ्रेस करने की अनुमति मांगी गई थी। आरोप है कि जिलाधिकारी और उप जिलाधिकारी ने पहले आनाकानी की और फिर शर्त लगा दी कि अनुमति तभी मिलेगी, जब हम लिख कर देंगे कि हम प्रेस वार्ता में क्या बोलेंगे। यह भी शर्त लगा दी गयी कि प्रेस वार्ता में जो हमें बोलना है, वो कागज पर हाथ से लिख कर देना होगा। ऐसी शर्तें पहले कहीं देखने-सुनने में नहीं आईं। मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उत्तराखंड के कार्यालय से पत्र भेजे जाने के बावजूद इस तरह की शर्तें थोपे जाना समझ से परे था। डीएम बागेश्वर ने यह तक कह दिया कि जब हमारी पार्टियां चुनाव नहीं लड़ रही हैं तो हमें प्रेस वार्ता की अनुमति क्यों मिलनी चाहिए। अब माकपा नेता की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए कुमाऊं कमिश्नर को जरूरी कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए हैं।