देहरादून: उत्तराखंड में त्रिवेंद्र रावत सरकार के दौरान ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में 189 स्कूलों को अटल स्कूल के रूप में विकसित किया गया था, लेकिन इन स्कूलों में न तो पूरे संसाधन हैं, और न ही शिक्षक।
Big decision to taken soon in Uttarakhand education dept
अब शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने अटल उत्कृष्ट स्कूलों को सीबीएसई से हटाकर दोबारा उत्तराखंड बोर्ड में लाने का फैसला किया है। हालांकि प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय धामी कैबिनेट की बैठक में होगा। शनिवार को शिक्षा मंत्री ने इस संबंध में विभागीय अधिकारियों संग बैठक की। उन्होंने बताया कि अटल उत्कृष्ट विद्यालयों के बोर्ड परीक्षा परिणाम, परीक्षा शुल्क, पाठ्यक्रम का माध्यम, शिक्षकों की तैनाती और अन्य बिन्दुओं को लेकर विभागीय अधिकारियों, शिक्षक संगठनों व अभिभावकों की ओर से कई सुझाव आए हैं। इसे देखते हुए विभाग ने स्कूलों के संचालन का निर्णय राज्य कैबिनेट के ऊपर छोड़ दिया है। शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि शिक्षकों को बेहतर प्रशिक्षण देने के लिये प्रदेश में डायट को आधुनिक बनाया जायेगा।
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प्रथम चरण में सूबे के पांच डायट को स्मार्ट बनाया जायेगा। बैठक में विभागीय अधिकारियों को प्रथम चरण में स्वीकृत पीएम-श्री स्कूलों का निर्माण कार्य शुरू करने, एनसीईआरटी से पुस्तकों का शीघ्र प्रकाशन कराने, कलस्टर स्कूलों की डीपीआर तैयार करने, एनईपी-2020 के अंतर्गत नये कार्यक्रमों को विद्यालयों में लागू करने के निर्देश दिये गये। बता दें कि उत्तराखंड में स्थित अटल स्कूल पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे का ड्रीम प्रोजेक्ट रहे हैं। क्वालिटी एजुकेशन देने के उद्देश्य से प्रदेश में अटल उत्कृष्ट स्कूलों की स्थापना की गई थी। छात्रों की संख्या बढ़ने पर 135 और स्कूलों को भी चिह्नित किया गया था। इस वक्त अटल उत्कृष्ट स्कूलों में शिक्षकों के 400 से ज्यादा पद रिक्त हैं। इन स्कूलों में प्रवक्ता के 280, गढ़वाल में एलटी के 97 और कुमाऊं में एलटी के 43 पद रिक्त हैं।