देहरादून: मिट्टी की खुशबू को आखिर कोई कैसे भुला सकता है? आज भले ही लाखों लोग पहाड़ छोड़कर शहरों में बस गए हैं लेकिन खुशी तब होती है, जब वो उत्तराखंड की संस्कृति और परंपरा को शहरों में भी जीवित रखते हैं।
Uttarakhand Mahotsav on 25th November in Indirapuram
इसी का एक नायाब उदाहरण है उत्तराखंड महोत्सव। देश की राजधानी दिल्ली और एनसीआर में अगर आप रह रहे हैं तो 25 नवंबर का दिन आपके लिए बेहद खास होने जा रहा है। उत्तराखंड के कई दिग्गज कलाकार आपको अपनी धुन पर थिरकाने वाले हैं। बीते दो दशकों से इंदिरापुरम में उत्तराखंड महोत्सव का आयोजन होता रहा है और हर बार इसे और ज्यादा बेहतर बनाने की कोशिश की गई है। हम जब इस आयोजन को करवाने वाले लोगों से मिले तो ये जानकर बेहद खुशी हुई कि शहरों में रहने के बावजूद भी ये लोग उत्तराखंड की संस्कृति, परंपरा और खुशबू को जीवित रखे हुए हैं। उत्तराखंड महोत्सव सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं बल्कि दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले अनगिनत उत्तराखंडियों के लिए एक सौगात की तरह है। अगर आप भी इस कार्यक्रम में शामिल होना चाहते हैं और अपने लोगों के बीच अपनी संस्कृति से रू-ब-रू होना चाहते हैं तो इंदिरापुरम के शिप्रा सन सिटी चले आइए। यहां सेंट्रल पार्क में आयोजन की पूरी तैयारियां हो चुकी हैं। मंच और आयोजन स्थल एक विशाल मैदान में आयोजित करवाया जा रहा है। आगे पढ़िए और जानिए कि इस कार्यक्रम की और भी खास बातें क्या क्या हैं।
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अब जरा जानिए कि इस कार्यक्रम को हर साल सफल बनाने का बीड़ा किसने उठाया हुआ है। ये है उत्तरांचल देवभूमि सांस्कृतिक समिति की वो मजबूत टीम, जिसके हर एक सदस्य ने पूरे उत्तराखंड को एक मैदान में जोड़ने का काम किया है। अध्यक्ष श्री चन्द्र सिंह रावत , उपाध्यक्ष श्री कमल नौटियाल , महासचिव श्री चन्द्र मोहन चौहन , सचिव श्री महेन्द्र सिंह रावत , कोषाध्यक्ष श्री राकेश रावत और समस्त सांस्कृतिक समिति बधाई की पात्र है। खास बात ये है कि देश और दुनिया को झूमने पे मजबूर कर देने वाले लोक कलाकार जितेन्द्र तोमक्याल, हेमा ध्यानी, सौरभ मैठाणी यहां आ रहे हैं। इसके अलावा अपनी मधुर आवाज से हर किसी का दिल जीतने वाली संगीता ढौंडियाल भी यहां आ रही हैं। आज नौकरी और रोजी रोटी की तलाश में हम सभी उत्तराखंड को छोड़कर शहरों में बसने आए है लेकिन देवभूमि और पहाड़ों की यादें हमारे दिलों में बसी है। ऐसे आयोजनों के माध्यम से हम उन यादों को एक बार फिर से जी सकते हैं। इसलिए थोड़ा सा भी वक्त है तो आप भी इंदिरापुरम चले आइए। अपने लोगों और अपने विशाल परिवार से मिलने में हर किसी को अच्छा लगता है। जय उत्तराखंड, जय देवभूमि।