चमोली: उत्तराखंड देवभूमि ही नहीं वीरभूमि भी है। देश को जांबाज सपूत देने के मामले में उत्तराखंड राज्य का कोई मुकाबला नहीं। यहां के हर घर ने देश को एक फौजी दिया है।
Sawad Village Village of Martyrs
आज हम आपको उत्तराखंड के एक ऐसे ही गांव के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां के जांबाज देश के लिए बलिदान देने में हमेशा आगे रहे। आज इस गांव को शहीदों के गांव के नाम से जाना जाता है। हम बात कर रहे हैं देवाल में स्थित सवाड़ गांव की। प्रथम विश्व युद्ध में यहां के 22 सैनिकों ने ब्रिटिश सेना का हिस्सा बनकर दुश्मनों के छक्के छुड़ाए थे। इनकी याद में सवाड़ में हर साल सैनिक दिवस पर अमर शहीद सैनिक मेला आयोजित किया जाता है। कल से यहां दो दिवसीय शहीद मेला शुरू हो जाएगा। सवाड़ गांव में 1225 लोग रहते हैं। सैन्य परंपरा वाले इस गांव के 115 सैनिक सेना में सेवारत है। जबकि 28 वीरांगनाएं व 72 पूर्व सैनिक हैं।
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प्रथम विश्व युद्ध में यहां के 22 सैनिकों ने योगदान दिया था तो वहीं द्वितीय विश्व युद्ध में 38, पेशावर कांड में 14, 1971 बांग्लादेश युद्ध में एक, ऑपरेशन ब्लू स्टार में एक सैनिक ने अपना योगदान दिया था। प्रथम विश्व युद्ध में गांव के जवाहर सिंह मेहरा, बादर सिंह, खेम सिंह, बलवंत सिंह मेहरा, खुशाल सिंह, नेत्र राम ,पदम सिंह, राम सिंह, गैर सिंह, हयात सिंह, जवाहर सिंह, प्रताप सिंह, श्याम सिंह, दरवान सिंह धपोला, काम सिंह, हुक्म सिंह, उदे सिंह, श्याम सिंह, केदार सिंह, रत्न सिंह, चिमण सिंह राणा शामिल रहे थे। Sawad Village गांव में प्राथमिक विद्यालय व इंटर कॉलेज है, लेकिन गांव वाले यहां केंद्रीय विद्यालय खोलने की मांग कर रहे हैं। छह साल पहले इसकी घोषणा भी की गई थी, लेकिन काम आगे नहीं बढ़ा। ग्रामीणों ने 105 नाली जमीन स्कूल के लिए दान की है। मामले को लेकर थराली विधायक भूपाल राम टम्टा ने कहा कि सवाड़ में केंद्रीय विद्यालय खुलने की प्रक्रिया चल रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी से मिलकर ग्रामीणों की मांग को लेकर अवगत कराया जा चुका है। प्रक्रिया जल्द ही आगे बढ़ेगी।