देहरादून: अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर का उद्घाटन होना है। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम भी जोरों पर है। 22 जनवरी को जब भगवान राम अयोध्या धाम में विराजेंगे, तब उत्तराखंड भी एक शानदार पहल का साक्षी बनेगा।
Pavalgarh conservation reserve will be named seetavani conservation reserve
यहां स्थित पवलगढ़ कंजर्वेशन रिजर्व का नाम उस दिन सीतावनी कंजर्वेशन रिजर्व रखा जाएगा। चलिए आपको आपको रामनगर वन प्रभाग के कोटा रेंज में स्थित सीतावनी मंदिर के बारे में भी बताते हैं, जिसके नाम पर पवलगढ़ कंजर्वेशन रिजर्व का नाम बदला जा रहा है। सीतावनी क्षेत्र में सीता माता का मंदिर है। जहां वह लव और कुश के साथ विराजमान हैं। यह मंदिर पुरातत्व विभाग के अंतर्गत आता है। रामनगर से 25 किलोमीटर दूर स्थित यह मंदिर त्रेता युग का बताया जाता है। यह कॉर्बेट से लगा हुआ क्षेत्र है। जहां पर बाघ, भालू, हाथियों के अलावा कई प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं। आगे पढ़िए।
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स्कंदपुराण में जिन सीतेश्वर महादेव की महिमा का वर्णन किया गया है, वह यहीं विराजित हैं। रामायण की कथा के अनुसार जिस समय भगवान राम ने देवी सीता को वनवास का आदेश दिया था, उस समय देवी सीता गर्भवती थीं। ऋषि वाल्मीकि के आश्रम में ही उन्होंने अपने जुड़वां पुत्रों को जन्म दिया था और उनका पालन-पोषण किया था। इस घटना की याद में सीतावनी में देवी सीता की प्रतिमा के साथ उनके दोनों पुत्रों को भी दिखाया गया है। सीतावनी में एक कुंड भी है। ऐसा कहा जाता है कि उसी कुंड में सीता माता अंतिम समय में समा गई थीं। यहां जल की तीन धाराएं बहती हैं। इन धाराओं की विशेषता यह है कि गर्मियों में इनका जल ठंडा और सर्दियों में गर्म रहता है। इन्हें सीता-राम और लक्ष्मण धारा कहा जाता है। सीतावनी मंदिर क्षेत्र वन विभाग के अंतर्गत आने के कारण यहां प्रवेश के लिए वन विभाग से अनुमति लेनी होती है।