उत्तराखंड रुद्रप्रयागBKTC Permission Required For Marriage In Triyuginarayan

अब त्रियुगीनारायण में विवाह के लिए लेनी होनी बीकेटीसी की अनुमति, जानिए आवेदन का प्रोसेस

त्रियुगीनारायण वही धाम है, जहां भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। यहां कई मशहूर हस्तियों ने सात फेरे लिए हैं।

BKTC permission triyuginarayan: BKTC Permission Required For Marriage In Triyuginarayan
Image: BKTC Permission Required For Marriage In Triyuginarayan (Source: Social Media)

रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड के कई क्षेत्र वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित हो रहे हैं।

BKTC Permission Required For Marriage In Triyuginarayan

देशभर के लोग पहाड़ी रीति-रिवाज से शादी समारोह आयोजित करने की चाह में उत्तराखंड का रुख कर रहे हैं। रुद्रप्रयाग जिले में स्थित पवित्र धाम त्रियुगीनारायण इनमें से एक है। कई मशहूर हस्तियों ने त्रियुगीनारायण में सात फेरे लिए हैं। त्रियुगीनारायण वही धाम है, जहां भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस स्थल को अब शांतिकुंज हरिद्वार की तरह वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप विकसित किया जाएगा। यहां विवाह आयोजन के लिए बीकेटीसी की अनुमति जरूरी होगी। अनुमति के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया भी जल्द शुरू होगी। त्रियुगीनारायण मंदिर, श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अधीन है। अब यहां विवाह आयोजन के इच्छुक लोगों को पहले आवेदन करना होगा। जिसमें विवाह का कार्ड, आधार कार्ड, फोटो पहचानपत्र सहित अन्य दस्तावेज भी देने होंगे। इसके बाद, समिति आवेदन पत्र के आधार पर सभी दस्तावेजों की जांच कर स्वीकृति प्रदान करेगी।

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मंदिर समिति विवाह आयोजन को लेकर नियमावली बनाने में जुट गई है। साथ ही आवेदन प्रक्रिया को भी ऑनलाइन करने के लिए वेबसाइट व ईमेल आईडी तैयार की जा रही हैं। हालांकि, अभी विवाह के लिए यहां पर ऑफलाइन आवेदन किया जा सकता है। बीते वर्ष बीकेटीसी की देहरादून में हुई बोर्ड बैठक में त्रियुगीनारायण में विवाह आयोजन के लिए नियमावली बनाने का प्रस्ताव रखा गया था। बता दें कि त्रियुगीनारायण मंदिर रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग पर सोनप्रयाग से 13 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां शिव-पार्वती विवाह के साक्षात प्रमाण मौजूद हैं। यहां तीन युगों से अनवरत जल रही अखंड ज्योति और वह पत्थर है, जिसमें पर्वतराज हिमालय ने अपनी पुत्री पार्वती का कन्यादान किया था। साथ ही कई अन्य प्रमाण भी हैं। इस विवाह में भगवान विष्णु ने माता पार्वती के भाई के रूप में अपनी भूमिका निभाई थी। अब बीकेटीसी इस देव विवाह स्थली को शांतिकुंज हरिद्वार की तरह वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने जा रही है।