उत्तराखंड देहरादूनUttarakhand Uniform Civil Code Draft Approved

उत्तराखंड: धामी कैबिनेट की यूनिफॉर्म सिविल कोड के ड्राफ्ट को हरी झंडी, जानिए इस कानून की ये खास बातें

UCC In Uttarakhand: उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू होने से 6 दशक पहले देखा सपना सच होने को है। कुप्रथाएं खत्म होंगी और सभी को एक समान अधिकार मिल सकेगा।

Uttarakhand Civil Code: Uttarakhand Uniform Civil Code Draft Approved
Image: Uttarakhand Uniform Civil Code Draft Approved (Source: Social Media)

देहरादून: 6 दशक पहले देखा सपना सच होने को है, 1962 में जनसंघ के हिंदू मैरिज एक्ट से शुरू होकर अब एक यूनिफार्म सिविल कोड नियमावली हम सबके सामने होगी।

UCC Draft approved by Uttarakhand Cabinet

2014 में पहली बार जब भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ केंद्र में आई तो मोदी सरकार ने पूरे जोर-शोर से अपने मेनिफेस्टो पर काम करना शुरू किया। इनमें से एक समान नागरिक संहिता को लागू करने की दिशा में यूसीसी को लागू कर उत्तराखंड, देश का पहला राज्य बनने की ओर अग्रसर है। उत्तराखंड के लिए आज की सबसे बड़ी खबर ये है कि सीएम धामी ने कैबिनेट बैठक में मंत्रिमंडल के साथ UCC के ड्राफ्ट पर हुई चर्चा के बाद समान नागरिक संहिता कानून के ड्राफ्ट को हरी झंडी दिखा दी है। अब आगामी छह फरवरी को आयोजित विधानसभा सत्र में यूसीसी का विधेयक पेश किया जाएगा। 5 से 8 फरवरी तक आहूत होने वाले सदन के पटल पर यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट रखा जाएगा। चुबीस घंटों में हुई दूसरी बैठक में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) के ड्राफ्ट को मंजूरी दे दी गई है। इससे पहले समान नागरिक संहिता का प्रस्ताव शनिवार को हुई कैबिनेट बैठक में लाने की चर्चा थी। आगे पढ़िए इसकी खास बातें ....

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उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू होने के बाद, लड़कियों की विवाह की आयु बढ़ाई जाएगी, विवाह का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा, पति-पत्नी दोनों को तलाक के समान अधिकार उपलब्ध होंगे और इसके साथ ही तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्नी के लिए भी लागू होगा।

Uttarakhand Civil Code

पॉलीगैमी या बहुविवाह पर रोक लगेगी, उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर का हिस्सा मिलेगा, नौकरीशुदा बेटे की मृत्यु पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण की भी जिम्मेदारी होगी। अगर पत्नी की मृत्यु हो जाती है और उसके माता पिता का कोई सहारा न हो, तो उनके भरण पोषण का जिम्मेदारी पति पर होगी। सभी को गोद लेने का अधिकार मिलेगा, मुस्लिम महिलाओं को भी गोद लेने की प्रक्रिया में आसानी हो जाएगी। हलाला और इद्दत पर रोक होगी, लिव इन रिलेशनशिप एक सेल्फ डिक्लेरेशन की तरह होगा जिसका एक वैधानिक फॉर्मैट होगा। बच्चे के अनाथ होने की स्थिति में गार्जियनशिप की प्रक्रिया को आसान किया जाएगा। पति-पत्नी के झगड़े की स्थिति में बच्चों की कस्टडी उनके ग्रैंड पैरेंट्स को दी जा सकती है। इसके अलावा एक मुख्या कानून, जनसंख्या नियंत्रण को अभी सम्मिलित नहीं किया गया है।