हल्द्वानी: हल्द्वानी हिंसा को 10 दिन हो चुके हैं। 10 दिनों में यहां मुख्यमंत्री से ले कर देश के तमाम एजेंसियां, आयोग और मीडिया दौरा कर चुके हैं। कई जांचों और तमाम मीडिया रिपोर्टस में साफ तौर पर सामने आया है कि वनभूलपुरा में अवैध कब्ज़ा हटाने गए प्रशासन पर उन्मादी भीड़ ने जानलेवा हमला किया।
Haldwani Incident fight between Land Mafia and Administration: Imam Kazmi
इस हमले के न सिर्फ गवाह, सबूत बल्कि कई भुक्तभोगी हल्द्वानी में मिल जाएँगे। हिंसा के इन भुक्तभोगियों में आम नागरिक भी हैं जिनका किसी विवाद से कोई लेना-देना नहीं था। पड़ताल में जो बात निकल कर सामने आई वो मुख्यतः ये थी कि पहले से साजिश रच कर तैयार बैठी हिंसक भीड़ का सामना प्रशासन और शांतिप्रिय आम जनता ने मिल कर किया था।
इस बीच जब हालात तेजी से सामान्य होने की दिशा में बढ़े तभी फैक्ट फाइंडिंग के नाम पर दिल्ली के कुछ लोगों की टीम हल्द्वानी पहुँच जाती है। ये टीम ने सबसे पहले पत्थरबाजों, अग्निकांड के आरोपितों, अवैध कब्जेदारों को क्लीन चिट दे देती है। और अंत में सारा दोष प्रशासन के सिर मढ़ देती है। इस रिपोर्ट को बाकायदा सोशल मीडिया पर वायरल करवाया जाता है। और वायरल कौन करता है ? फर्जी खबर फैलाने के मामले में जेल जा चुके अली शोहराब जैसे लोग। आगे पढ़िए...
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डीएम वंदना सिंह, जिनकी इस बात को लेकर तारीफ होनी चाहिए कि उन्होंने हल्द्वानी के एक जमीन माफिया से सीधी टक्कर ली, उन्हीं को पूरे विवाद का दोषी बता दिया गया। अब हल्द्वानी शहर की उमर मस्जिद के इमाम और जमीयत उलेमा के पदाधिकारी मोहम्मद मुकीम काज़मी ने वनभूलपुरा हिंसा पर बेहद अफ़सोस जताते हुए नैनीताल प्रशासन की दिल खोल कर तारीफ की है।
इमाम मुकीम काज़मी ने हल्द्वानी हिंसा के मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक को दोषी करार दिया और कहा कि ये लड़ाई मजहब की नहीं थी, ये अब्दुल मलिक और प्रशासन के बीच की लड़ाई थी, जो जमीन को लेकर थी। इस लड़ाई को सांप्रदायिक रंग दे दिया गया। इमाम काज़मी ने प्रशासन से अपील की है कि दंगाईयों को किसी भी हालत में छोड़ा न जाए। डीएम वंदना सिंह को खासतौर पर इमाम ने दंगों को रोकने में अहम भूमिका निभाने वाली अधिकारी कहा और भविष्य में वनभूलपुरा में बिगड़ रहे युवाओं को सुधारने में भी उनकी मदद माँगी। विडियो देखिये...