उत्तराखंड देहरादूनPresident s approval to UCC Bill CM Pushkar Singh Dhami gave information

उत्तराखंड: यूसीसी विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी, सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सोशल मीडिया पर दी जानकारी

मुख्यमंत्री ने लिखा कि सभी प्रदेशवासियों के लिए यह अत्यंत हर्ष का क्षण है कि समान नागरिक संहिता विधेयक को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दे दी है।

Uniform civil code Uttarakhand: President s approval to UCC Bill  CM Pushkar Singh Dhami gave information
Image: President s approval to UCC Bill CM Pushkar Singh Dhami gave information (Source: Social Media)

देहरादून: उत्तराखंड में जल्द ही समान नागरिक संहिता लागू हो जाएगी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उत्तराखंड समान नागरिक संहिता विधेयक को मंजूरी दे दी है।

Uniform Civil Code In Uttarakhand

अब नियमावली बनने के बाद इसे राज्य में लागू कर दिया जाएगा। यह जानकारी खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर पोस्ट कर के दी है। उन्होंने लिखा कि सभी प्रदेशवासियों के लिए अत्यंत हर्ष और गौरव का क्षण है कि उत्तराखंड विधानसभा से पारित हुए समान नागरिक संहिता विधेयक को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दे दी है। निश्चित तौर पर प्रदेश में समान नागरिक संहिता कानून लागू होने से सभी नागरिकों को समान अधिकार मिलने से साथ ही महिलाओं पर हो रहे उत्पीड़न पर लगाम लगेगी। उत्तराखंड में सामाजिक समानता की सार्थकता को सिद्ध करते हुए समरसता को बढ़ावा देने के लिए Uniform Civil Code अपनी महत्वपूर्ण निभाएगा। उत्तराखंड सरकार पीएम मोदी के विजन के अनुरूप नागरिकों के हितों के संरक्षण और उत्तराखंड के मूल स्वरूप को बनाए रखने के लिए संकल्पित है।

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बता दें कि हाल ही में उत्तराखंड सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर उत्तराखंड समान नागरिक संहिता 2024 विधेयक को सदन से पास करवाया था। उत्तराखंड देश का पहला राज्य बनने जा रहा है, जहां Uniform Civil Code लागू किया जाएगा। यूसीसी के मुख्य बिंदुओं की बात करें तो इसके लागू होने पर शादी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। रजिस्ट्रेशन न कराने पर सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिलेगा। पति और पत्नी के जीवित रहते दूसरा विवाह पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। इसके अलावा अगर शादीशुदा दंपति में से कोई एक बिना दूसरे की सहमति के अपना धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को उससे तलाक लेने और गुजारा भत्ता लेने का पूरा अधिकार होगा। पति और पत्नी के बीच तलाक या घरेलू झगड़े के दौरान पांच साल तक के बच्चे की कस्टडी उसकी मां के पास ही रहेगी। मुस्लिम समुदाय में प्रचलित हलाला और इद्दत की प्रथा पर रोक रहेगी। सभी धर्मों में पति और पत्नी को तलाक लेने के समान अधिकार दिए गए हैं। संपत्ति के अधिकार के लिए जायज और नाजायज बच्चे में कोई भेद नहीं होगा। सभी धर्मों और समुदायों में बेटी को संपत्ति में समान अधिकार दिया जाएगा। इसके अलावा उत्तराखंड में लिव इन रिलेशनशिप के लिए भी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा।