उत्तराखंड हरिद्वारNavratri of Chaitramas 2024 starts from today

उत्तराखंड: आज से चैत्र नवरात्र शुरू, इस वर्ष हुई है ये खास बात

हरिद्वार स्थित महामाया देवी मंदिर को 52 शक्तिपीठों का केंद्र सिद्धपीठ माना जाता है। महामाया देवी हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी भी कहलाती हैं। जहाँ मंगलवार सुबह से भक्तों की भीड़ लगी हुई है।

Navratri of Chaitramas: Navratri of Chaitramas 2024 starts from today
Image: Navratri of Chaitramas 2024 starts from today (Source: Social Media)

हरिद्वार: आज मंगलवार, 9 अप्रैल से नौ दिवसीय चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। नवरात्रि के पहले दिन माँ शैल पुत्री की पूजा की जाती है। चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होता है।

Navratri of Chaitramas 2024 starts from today

इस साल चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल 2024 से प्रारंभ हुई है, जिसका समापन नौ दिन बाद 17 अप्रैल होगा।v नवरात्रि के प्रथम दिवस मंगलवार को दोपहर 02:17 तक वैधृति योग होने के कारण घट स्थापना अभिजीत मुहूर्त में दोपहर 12:04 से 12:54 तक हुई है। इस बार नवरात्रि पूरे नौ दिनों तक होगी।

घोड़े पर सवार होकर आएंगी माता रानी

वैसे तो माता रानी का वाहन शेर है लेकिन नवरात्रि के दौरान माता अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आती है। नवरात्रि की समाप्ति के साथ माता रानी अलग-अलग वाहन पर सवार होकर प्रस्थान करती है। इस साल माता रानी घोड़े पर सवार होकर आगमन करेंगी। सवार माता रानी के घोड़े पर सवार आगमन को शुभ नहीं माना गया है। इससे वैश्विक स्तर पर कोई बहुत बड़ी घटना जैसे युद्ध, प्राकृतिक आपदा या अन्य कोई अनहोनी का संकेत माना जा रहा है। लेकिन माता रानी 17 अप्रैल को हाथी की सवारी कर प्रस्थान करेगी। जिसे अत्यंत शुभ माना गया है। आइए आपको इस शुभावसर पर हरिद्वार स्थित बावन सिद्धपीठों के केंद्र महामाया मंदिर के बारे में बताते हैं।

  • माँ महामाया का वीर मुद्रा श्रृंगार

    Mahamaya Temple Haridwar
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    प्राचीन परंपरा के अनुसार मां महामाया का श्रृंगार अष्टमी की रात्रि जोत विसर्जन के पश्चात शस्त्रों से किया जाता है। माता के आठों हाथों में शस्त्र धारण किए जाते हैं । माता के इस श्रृंगार को 'वीर मुद्रा श्रृंगार कहा जाता है। माता के इस रूप के दर्शन करने के लिए अष्टमी के दिन मंदिर में हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ लग जाती है। मां मायादेवी मंदिर में श्रद्धालुओं की साल भर भीड़ लगी रहती है। लेकिन नवरात्रे के दिनों ये भीड़ कई गुना बढ़ जाती है। देश के हर कोने से श्रदालु मां मायादेवी मंदिर के दर्शन करने के लिए आते हैं। वेद पुराणों में कहा गया है कि हरिद्वार में मायादेवी मंदिर के स्थान पर माता आदिशक्ति सती की नाभि गिरी थी। इसीलिए इस स्थान को संपूर्ण ब्रह्मांड का केंद्र भी माना जाता है। नवरात्री के दिनों में महामाया देवी की मूर्ती का श्रृंगार और मंदिर की सजावट की जाती है। मंदिर की सजावट करने के लिए अलग-अलग तरह के फूलों का प्रयोग किया जाता है। माया देवी हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण डाकिनी, शाकिनी, पिशाचिनी आदि अला बलाओं से तीर्थ की रक्षा करती हैं। कहा जाता है कि हरिद्वार में मायादेवी मंदिर के दर्शन किए बिना तीर्थों की यात्रा पूरी नहीं मानी जाती है।

  • 52 शक्तिपीठों का केंद्र सिद्धपीठ महामाया देवी मंदिर

    Mahamaya Temple Haridwar
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    हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी कही जाने वाली मां मायादेवी मंदिर में पहली नवरात्री मंगलवार की सुबह से ही श्रद्धालुओं का भीड़ लगी हुई है। माना जाता है कि नवरात्री के दिनों में हरिद्वार स्थित मां महामाया देवी के सच्चे मन से दर्शन करने वाले भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है। हरिद्वार स्थित महामाया देवी मंदिर को 52 शक्तिपीठों का केंद्र सिद्धपीठ माना जाता है। महामाया देवी हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी भी कहलाती हैं। महामाया देवी मंदिर के नाम पर ही हरिद्वार का पुराना नाम मायापुरी था। महामाया देवी का नवरात्री के अवसर पर यहां विशेष श्रृंगार किया जाता है।