उत्तराखंड रुद्रप्रयागDestination Wedding in Triyuginarayan Temple Uttarakhand

उत्तराखंड में डेस्टिनेशन वेडिंग करनी है, चले आइये ‘त्रियुगीनारायण’.. बैसाखी के दिन हुए 14 विवाह

देवभूमि उत्तराखंड का नाम विश्वविख्यात है क्यूंकि यहाँ पर चारों धाम, योगनगरी, धर्मनगरी आदि अनेक प्रमुख स्थल मौजूद हैं। लेकिन इन दिनों प्रसिद्ध शिव पार्वती विवाह स्थल ‘त्रियुगीनारायण मंदिर’ वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में अपनी अलग पहचान बनाए हुए है।

Destination Wedding in Triyuginarayan: Destination Wedding in Triyuginarayan Temple Uttarakhand
Image: Destination Wedding in Triyuginarayan Temple Uttarakhand (Source: Social Media)

रुद्रप्रयाग: इन दिनों बहुत से लोग वैदिक परंपराओं के अनुसार अपना विवाह त्रियुगीनारायण मंदिर में करवा रहे हैं, बैसाखी के दिन यहां 14 शादियां हुईं। उत्तराखंड ही नहीं बल्कि देश के अनेक हिस्सों से लोग यहां विवाह करवाने पहुंच रहे हैं।

Destination Wedding in Triyuginarayan Temple Uttarakhand

आजकल देश-विदेश में शादियों का नया ट्रेंड ‘डेस्टिनेशन वेडिंग’ का चल पड़ा है। समय और लाइफस्टाइल के बदलने के साथ-साथ अधिकांश कपल डेस्टिनेशन वेडिंग की ओर रुख कर रहे हैं। इसमें कपल अपनी पसंद की किसी विशेष जगह को चुनते हैं और वहां अपने अनुसार शादी के बंधन में बंधते हैं। देशी-विदेशी जोड़ों के लिए 'शिव व पार्वती' विवाहस्थल त्रियुगीनारायण मंदिर पहली पसंद बन रहा है।

त्रियुगीनारायण मंदिर की मान्यता

यह वही स्थान है जहाँ भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। उत्तराखंड का त्रियुगीनारायण मंदिर एक प्रमुख पौराणिक स्थल है, जहाँ सदियों से अग्नि प्रज्वलित हो रही है। भगवान शिव और माता पार्वती ने इसी अग्नि को साक्षी मानकर अपना विवाह किया था। मंदिर के अंदर प्रज्वलित अग्नि कई युगों से जल रही है, इसलिए इस स्थल का नाम त्रियुगी हो गया यानी अग्नि, जो तीन युर्गों से जल रही है। त्रियुगी गांव के निवासियों और स्थानीय तीर्थ पुरोहित समुदाय के प्रयासों से आज त्रियुगीनारायण मंदिर एक अमूल्य धारोहर बन चुका है। चारधाम यात्रा के समय लाखों लोग इस पवित्र स्थल का दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं।

विवाह की प्रक्रिया

विवाह के आयोजन के लिए पहले सबसे तीर्थ पुरोहित समाज के माध्यम से रजिस्ट्रेशन करवाना होता है। रजिस्ट्रेशन के बाद तीर्थ पुरोहित यजमान के अनुसार वहां की व्यवस्था की जाती है। विवाहीत जोड़े के लिए पंडित की सेवाएं भी तीर्थ पुरोहित समाज के माध्यम से उपलब्ध होती हैं। हल्दी हाथ के अलावा, सात फेरों के समय भी स्थानीय महिलाओं की मंगल समूह उपलब्ध होता है। त्रियुगीनारायण मंदिर में वैदिक पद्धति से विवाह संस्कार संपन्न होते हैं। इस संस्कार में सबसे पहले सात फेरे लिए जाते हैं, फिर मंदिर के हवन कुंड में वर वधू चार परिक्रमाएं करते हैं और इसके बाद जयमाला संपन्न होती है।
केदारनाथ यात्रा के मुख्य पड़ाव सोनप्रयाग से 12 किमी दूरी पर त्रियुगीनारायण मंदिर स्थित है, यहां गढ़वाल मंडल विकास निगम (GMVN) के होटल के साथ ही स्थानीय लोगों के होटल, लॉज भी हैं, जिनमें आराम से ठहरा जा सकता है। यहाँ पर रहने और खाने की पर्याप्त व्यवस्था उपलब्ध होती है।