उत्तराखंड रुद्रप्रयागKedarnath Yatra badly affected due to Limited Resources and Restrictions

Kedarnath: सीमित संसाधनों के कारण यात्रा बुरी तरह प्रभावित, 70% तक बुकिंग कैंसिल.. सूने पड़े बाजार-सड़कें

विधायक शैला रानी रावत अच्छे से जानती हैं कि केदारनाथ यात्रा ही उनके क्षेत्र की लगभग 70-80% जनता की आय का एक मात्र श्रोत है। फिर भी मुखर नहीं दिखतीं।

Kedarnath Yatra 2024: Kedarnath Yatra badly affected due to Limited Resources and Restrictions
Image: Kedarnath Yatra badly affected due to Limited Resources and Restrictions (Source: Social Media)

रुद्रप्रयाग: पिछले साल तक जून के महीने में केदार घाटी के नजदीकी पड़ावों से लेकर केदारनाथ धाम तक यात्री खचाखच भरे रहते थे। वहीं इस बार केदारनाथ में रोजाना की यात्रा 18 हजार से 20 हजार यात्रियों पर सिमट कर रह गई है।

Kedarnath Yatra badly affected due to Limited Resources and Restrictions

केदारनाथ घाटी के व्यापारियों का धंधा चौपट हो गया है। कम रजिस्ट्रेशन होने के कारण होटल रेस्टोरेंट और लॉज की जून महीने के आखिर तक की एडवांस बुकिंग रद्द हो रही है।

डेढ़-दो माह पहले ही आयी प्रशासन को यात्रा की सुध

इस बार डेढ़-दो माह पहले तक केदारनाथ घाटी में यात्रा सीजन की कोई तैयारी ही नहीं थी। यात्रा शुरू होने से बमुश्किल एक-डेढ़ माह पहले ही सरकार और प्रशासन को वर्षों से यात्रा की सबसे अड़चन "कुंड- गुप्तकाशी" मार्ग की याद आयी। जहां पर आज से नहीं बल्कि कई वर्षों से जाम की भयानक स्थिति होती है। हमारे संवाददाता ने बताया कि अभी तक भी कई जगह ऐसी हैं जिनपर समय पर काम किया जाता तो यात्रा बहुत सुगम हो सकती थी।

खलती है क्षेत्रीय विधायक की सुस्ती और चुप्पी

अपने क्षेत्र के बारे में विधायक शैला रानी रावत अच्छे से जानती हैं कि केदारनाथ यात्रा ही उनके क्षेत्र की लगभग 70-80% जनता की आय का एक मात्र श्रोत है। फिर भी क्षेत्रीय लोगों के लिए विधायक किसी भी मुद्दे पर मुखर नहीं दिखतीं। क्षेत्रीय नेता का केवल चुनाव के समय ही दिखना, इस लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी को अयोध्या सीट तक हरा चुका है। केदार घाटी की जनता बीजेपी की समर्थक रही है। परन्तु क्षेत्रीय विधायक का ये अज्ञातवास और मौन व्रत क्षेत्रीय व्यापारी और केदारघाटी के आमजन में असंतोष बढ़ा रहा है, ये बात तय है।

लाखों रजिस्ट्रेशन के बाद फूल गए प्रशासन के हाथ पैर ?

केदारनाथ धाम में इस वक्त थार गाड़ियां चल रही हैं, यदि जलवायु प्रदूषण की बात करें तब भी यात्रियों को रोकना और धाम में गाड़ियां चलवाना प्रशासन का कितना अच्छा कदम है ये वो ही जानें। यात्रियों को उत्तराखंड आने पर के बाद बेतरतीब रोक देने से साफ़ तौर पर यात्रियों को असुविधा हुई, वहीं दूसरी ओर देश विदेश में यात्रा में होने वाली परेशानियों की ख़बरें गईं, जिससे अधिकतर बुकिंग कैंसिल हो गई.. स्पष्ट रूप से प्रशासन का failure है। 10 मई से शुरूकी गई केदारनाथ यात्रा में एक महीने में रिकॉर्ड दर्शनार्थियों के बाद भी केदारघाटी के होटल व्यवसायियों की आजीविका को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है तो सोचने वाली बात है कि आखिर यात्रा किस तरह से मैनेज की गयी है ?
व्यापारियों का कहना है कि केदारघाटी के होटल, लॉज, रेस्टोरेंट में प्रतिदिन 30 फीसदी से अधिक कमरे बुक नहीं हो पा रहे हैं। इसके साथ ही जून महीने के आखिरी की अधिकांश बुकिंग रद्द हो रही हैं जिस कारण कारोबारीयों को लाखों का नुकसान झेलना पड़ रहा है।

सरकार-प्रशासन व्यवस्थाएं कर नहीं सका तो रोक दिए गए श्रद्धालु

यात्रा शुरू होने के साथ ही यात्रियों को कई-कई रातें गाड़ियों में ही गुजारनी पड़ीं। केदारनाथ धाम के लिए ऑनलाइन-ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था कुछ ऐसी हुई कि देश-विदेश के विभिन्न प्रांतो से केदारनाथ आने की चाह रखने वाले यात्री समय से केदारनाथ पहुंच ही नहीं सके और अपनी उन्हें होटल और रेस्टोरेंट की बुकिंग रद्द करनी पड़ीं। बुकिंग कैंसिल होने के कारण केदारघाटी होटल खाली रहे।

प्रशासन का ये यात्रा संचालन क्षेत्रीय लोगों की जीविका के लिए घातक

सोनप्रयाग और गौरीकुंड में भी होटल कारोबारी बुकिंग रद्द होने के कारण परेशान हैं। व्यापारियों का कहना है कि सरकार और प्रशासन की बदइंतजामी से यात्रा हसिए पर सिमट गई है। इस साल केदारनाथ यात्रा और केदारघाटी के व्यापारियों को बहुत भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।