उत्तरकाशी: गंगोत्री मंदिर समिति ने उत्तराखंड सरकार से नाराजगी व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री मोदी को एक पत्र लिखा है। इसमें चार धाम यात्रा के महत्व और माहतम्य को लेकर राज्य सरकार के रवैये को लेकर नाराजगी व्यक्त की गयी है।
Gangotri Temple Committee writes letter to PM Modi about Char Dham Yatra
खबर उत्तराखंड के उत्तरकाशी गंगोत्री चार धाम यात्रा से है, जिसमें होटल एसोसिएशन के साथ-साथ गंगा पुरोहितो ने भी सरकार के विरुद्ध मोरचा खोल दिया है। होटल एसोसिएशन के साथ-साथ गंगा पुरोहितों का आरोप है कि उत्तराखंड सरकार चारधाम यात्रा के महत्व और माहतम्य को समाप्त करने की ओर प्रयास कर रही है। आरोप ये भी हैं कि ऋषिकेश और हरिद्वार में तीर्थ यात्रियों को रजिस्ट्रेशन के नाम पर रोका गया, तीर्थ यात्री जो चार धाम यात्रा पर आए थे, जिनके 25 लाख से ज्यादा रजिस्ट्रेशन एडवांस में ही हो गए थे, उन्हें जगह जगह रोककर मानसखंड यानि कुमाऊं की ओर भेजा गया। गंगोत्री के तीर्थ पुरोहितों और पंडितों ने इसे सरकार का धार्मिक आस्था के साथ खिलवाड़ बताया है। गंगोत्री मंदिर समिति में इसे लेकर तीर्थ पुरोहितों ने बैठक का आयोजन किया, जिसमें नाराजगी कि चार धाम यात्रा आस्था का केंद्र है और जो यात्री चार धाम पर आना चाहता है उसे सरकार रजिस्ट्रेशन के नाम पर रोक कर कैंची धाम के लिए भेज रहे हैं। गंगा मां के तीर्थ पुरोहितों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर अपनी आपत्ति जताई है।
PM मोदी को लिखी चिट्ठी
चार धाम यात्रा क्या है
उत्तराखंड की चारधाम यात्रा या पूरे भारतवर्ष के परिपेक्ष में बात करें तो छोटी चार धाम यात्रा। इसमें हरिद्वार-ऋषिकेश-देवप्रयाग-रुद्रप्रयाग का भी विशेष स्थान है। उत्तराखंड की चारधाम यात्रा धार्मिक आस्था का केन्द्र है, जिसके लिए शास्त्रों में नियम भी बनाये गये हैं। पूर्व में चार धाम यात्रा मोक्ष के लिए की जाती थी, आज भी तीर्थ यात्री अपने पुरखों की आत्मा की शांति के लिए भी ये यात्रा करते हैं।
क्यूं की जाती है चार धाम यात्रा
उत्तराखंड की चारधाम यात्रा के उदाहरण शास्त्रों में हैं, पाण्डव भी अपनी गोत्र हत्या के श्राप को मिटाने के लिए उत्तराखण्ड आये थे। कहा जाता है कि उत्तराखंड के चार धामों में यात्रा कर पांडवों ने पूजा-अर्चना ही शुरू की थी। इसके बाद समस्त भारतवर्ष को एक सूत्र में पिरोने वाले शंकराचार्य ने समस्त भारतवर्ष के साथ ही उत्तराखंड के भी धामों का पुनर्निर्माण और जीर्णोदार कराया था।
क्या है यात्रा के नियम
चारधाम यात्रा के नियम हैं कि हरिद्वार-ऋषिकेश में स्नान से शुरू होकर, देवप्रयाग में मां भागीरथी के आचमन के बाद सर्वप्रथम, यमनोत्री जो सूर्य पुत्री व यमराज की बहन मानी जाती हैं, उनके जल में यात्री स्नान ध्यान आदि करते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से यम का भय समाप्त हो जाता है। इसके बाद माँ पापनाशिनी गंगा जी के दर्शन का वर्णन शाष्त्र करते हैं जो समस्त पाप संताप को हरने वाली है। यहाँ पर भी पिण्ड दान व तर्पण करने का विधान है। इसके बाद यमुनोत्री और गंगोत्री से लाया गया जल केदारनाथ धाम में भगवान शिव को अर्पित करने का विधान है। केदारधाम में भोले बाबा के दर्शन के बाद अन्त में भोले नाथ के ईष्ट भगवान बदरीनाथ यानि स्वयं नारायण के दर्शन जीव को समस्त बंधनों से मुक्त कर मोक्ष प्रदान करता है। यही पर अन्तिम पिण्ड दान का विधान शास्त्रों में वर्णित है। इसी जगह पर पाण्डवों ने अपने पित्रों का श्राद्ध कर स्वर्गारोहणी की और प्रस्थान किया और मोक्ष को प्राप्त हुऐ थे। ये यात्रा का संक्षिप्त वर्णन है, जिसका वृहद स्वरुप शास्त्रों में वर्णित है।