उत्तराखंड रुद्रप्रयागSurendra and Satpal Rescue Thousands Passengers in Kedarnath Disaster

केदारनाथ आपदा: घाटी के 2 युवा बने तारणहार, घोड़े की लगाम और गमछे से बचाई सैकड़ों की जान

बीते दिनों बादल फटने से क्षतिग्रस्त हुआ केदारनाथ यात्रा पैदल मार्ग पर हजारों की संख्या में तीर्थयात्री फंस गए थे, जिनका लगातार रेस्क्यू किया जा रहा है।

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Kedarnath Disaster 2024: Surendra and Satpal Rescue Thousands Passengers in Kedarnath Disaster
Image: Surendra and Satpal Rescue Thousands Passengers in Kedarnath Disaster (Source: Social Media)

रुद्रप्रयाग: रेस्क्यू अभियान के दौरान 11,775 यात्रियों और स्थानीय निवासियों को अभी तक सुरक्षित निकाला गया है। गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर भीमबली में नदी के दूसरी तरफ घोड़ा-खच्चर चलाने वाले दो युवा लगभग 1000 से अधिक फंसे यात्रियों के लिए देवदूत साबित हुए।

Surendra and Satpal Rescue Thousands Passengers in Kedarnath Disaster

बीते 31 जुलाई की शाम 7 बजे से 9 बजे के बीच हुई मूसलाधार बारिश और बादल फटने से केदारनाथ के पैदल मार्ग भीमबली से छोटी लिनचोली के बीच कई स्थानों पर बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया। इस आपदा के दौरान हजारों श्रद्धालु और स्थानीय लोग फंस गए। कुछ ने भागकर जान बचाई जबकि अन्य सुरक्षित स्थानों पर रुके रहे। इस स्थिति में भीमबली में नदी पार नया मार्ग पर घोड़ा-खच्चर चलाने वाले सुरेंद्र और सतपाल ने यह मंजर अपनी आँखों से देखा और फिर फंसे हुए लोगों को बचाने के की सहायता में जुट गए। बारिश थमने और मंदाकिनी का उफान कम होने के बाद सुरेंद्र और सतपाल ने मुख्य पैदल मार्ग पर पहुंचकर फंसे हुए 50 लोगों को सुरक्षित निकाला।

मोबाइल की रौशनी से लगभग 100 यात्रियों को सुरक्षित स्थान तक पहुँचाया

इसके बाद मोबाइल की रोशनी में दो किलोमीटर आगे रामाबाड़ा पहुंचकर लगभग 100 से अधिक यात्रियों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। छोटी लिंचोली में फंसे सैकड़ों लोगों की सूचना मिलते ही सुबह पांच बजे ये दोनों वहां पहुंचे। हिमखंड जोन में ध्वस्त रास्ते और गहरी खाई के बावजूद उन्होंने गमछे और प्लास्टिक पाइप की मदद से लगभग 800 लोगों को सुरक्षित निकाला जिनमें महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल थे। सुरेंद्र और सतपाल ने पहली बार मुख्य रास्ते से चार सौ मीटर ऊपर एक अस्थायी रास्ता तैयार किया और फिर गमछों और प्लास्टिक पाइप की मदद से नीचे उतरकर फंसे यात्रियों को सुरक्षित जगह पर पहुंचाया। इस दौरान उन्होंने एक-एक करके यात्रियों को ऊपर और फिर मुख्य रास्ते तक सुरक्षित पहुँचाया।

गमछों से बनाई रस्सी से सुरक्षित किया लगभग 800 यात्रियों को

दोपहर 12 बजे अन्य सुरक्षा जवान भी उनकी मदद के लिए पहुंचे। सुरेंद्र और सतपाल ने बताया कि उन्होंने बाबा केदार के आशीर्वाद से यह कार्य किया और उनके पास 20 घोड़ा-खच्चर, लगभग 100 मीटर प्लास्टिक पाइप और 50 से अधिक गमछे थे, जिनका इस्तेमाल उन्होंने मजबूत रस्से बनाने में किया। इस रेस्क्यू के दौरान फंसे यात्रियों में छोटे बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग भी शामिल थे। सुरेंद्र और सतपाल ने लगभग 800 से अधिक यात्रियों का रेस्क्यू किया, जिनमें से कई को रस्सा पकड़ने में डर लग रहा था। उन्हें प्रेरित करके और स्वयं भी कई बार खाई से ऊपर और नीचे जाने की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। सुरेंद्र जो पहले जिला आपदा प्रबंधन में काम कर चुके हैं, और सतपाल ने एक हजार से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाला। सेक्टर मजिस्ट्रेट संदीप सिंह ने भी इन दोनों युवाओं की सराहना की।