देहरादून: राज्य सरकार के इस कदम से 15 हजार से अधिक संविदा कर्मियों को सरकारी नौकरी मिलने की संभावना है। कट ऑफ डेट को लेकर मामला जटिल बना हुआ है और इस पर विधिक राय प्राप्त की जा रही है।
More Than 15k Contract Workers Will Get Govt. Jobs in Uttarakhand
उत्तराखंड सरकार ने विभिन्न सरकारी विभागों में तैनात संविदा कर्मियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया को फिर से सक्रिय कर दिया है। कैबिनेट द्वारा प्रस्ताव को वापस किए जाने के बाद शासन इसका पुनरावलोकन कर रहा है। कट ऑफ डेट को लेकर मामला जटिल हो गया है, इसलिए विधिक सलाह ली जा रही है। संशोधित प्रस्ताव को जल्द ही अंतिम रूप देकर कैबिनेट के सामने पेश किया जाएगा। प्रदेश में 15 हजार से अधिक संविदा कर्मियों के नियमितीकरण के लिए आंदोलन चल रहा है, जिसके मद्देनजर नियमावली में संशोधन किया जा रहा है। 2011 में सरकार ने सरकारी विभागों, निगमों, परिषदों और स्वायत्तशासी संस्थाओं में काम कर रहे तदर्थ और संविदा कर्मियों के नियमितीकरण के लिए नियमावली तैयार की थी।
न्यूनतम सेवा पांच वर्ष की नियमावली पर हाईकोर्ट ने हटाई रोक
वर्ष 2011 में 10 वर्षों की सेवा पूरी करने वाले कार्मिकों के नियमितीकरण की व्यवस्था की गई। इसके बाद 2013 में एक नई नियमावली लागू की गई, जिसमें यह प्रावधान किया गया कि 2011 की नियमावली के तहत नियमित नहीं हो पाने वाले कर्मचारियों को भी नियमित किया जाएगा। हालांकि इस नियमावली के बावजूद बड़ी संख्या में संविदा कर्मी नियमित नहीं हो पाए। इस समस्या को देखते हुए सरकार ने 2016 में संशोधित विनियमितीकरण नियमावली जारी की, जिसमें न्यूनतम सेवा अवधि को 10 वर्ष से घटाकर पांच वर्ष कर दिया गया। हालांकि इस नियमावली पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी जिसे फरवरी में हटा दिया गया।
नियमावली संशोधन के बाद कैबिनेट में होगा पेश
अगस्त में हुई कैबिनेट बैठक में 2018 तक 10 वर्षों की सेवा पूरी करने वाले कर्मियों के नियमितीकरण का प्रस्ताव पेश किया गया। हालांकि कुछ कैबिनेट सदस्यों ने कट ऑफ डेट को लेकर असहमति जताई और वर्ष 2024 तक के संविदा कर्मियों के नियमितीकरण का समर्थन किया। इसके परिणामस्वरूप प्रस्ताव को फिर से कार्मिक विभाग के पास भेज दिया गया। अपर मुख्य सचिव कार्मिक आनंद बर्द्धन ने बताया कि नियमावली में संशोधन के लिए प्रस्ताव का परीक्षण चल रहा है। जल्द ही इस पर निर्णय लेकर कैबिनेट के समक्ष पेश किया जाएगा।