हल्द्वानी: 15 सितंबर से 3700 करोड़ रुपये की लागत से जमरानी बांध परियोजना का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। इस परियोजना के पूरा होने से उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के कई क्षेत्रों में पेयजल और सिंचाई की समस्याओं का समाधान होगा।
70000 trees will be sacrificed for 3700 Cr Jamrani Dam
जमरानी बांध के लगभग 400 हेक्टेयर कुल डूब क्षेत्र का 351.55 हेक्टेयर वन क्षेत्र है। 15 सितंबर से जमरानी बांध के निर्माण के लिए वन और निजी भूमि पर मौजूद 70 हजार पेड़ों की कटाई की जाएगी। हालांकि इन पेड़ों की क्षतिपूर्ति के लिए वन विभाग को 90 करोड़ रुपये का बजट प्रदान किया गया है। सरकार का विचार है कि इस धनराशि का उपयोग नए पेड़ों के पौधारोपण में किया जाएगा ताकि पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखा जा सके। काठगोदाम से 10 किमी अपस्ट्रीम में स्थित गौला नदी पर इस बांध का निर्माण किया जा रहा है। निर्माण कार्य के तहत मुख्य मार्ग से एप्रोच सड़क बनाई जा रही है ताकि निर्माण स्थल तक आवश्यक मशीनें आसानी से पहुंच सकें। केंद्र सरकार से बजट की मंजूरी के बाद सिंचाई विभाग ने कार्यों की गति तेज कर दी है।
गौला नदी पर बनेगी 10 किमी लंबी झील
बांध बनने से 351.55 हेक्टेयर वन और 50 हेक्टेयर निजी भूमि झील के डूब क्षेत्र में आ जाएगी, जिसमें कई दशक पुराने पेड़ और जंगली झाड़ियां शामिल हैं। जमरानी बांध के निर्माण के पश्चात गौला नदी में पानी जमा होने से लगभग 10 किमी लंबी झील का निर्माण होगा। इस प्रक्रिया में नदी के दोनों किनारों की पहाड़ियों पर स्थित पेड़ झील के डूब क्षेत्र में आ रहे हैं जिन्हें हटाया जाएगा। पानी भरने से पहले इन पेड़ों की कटाई और स्थानांतरण की योजना तैयार की गई है, ताकि क्षेत्र को बांध निर्माण के लिए साफ किया जा सके।
पहला चरण 15 सितंबर से शुरू
कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने हल्द्वानी कैंप कार्यालय में जमरानी बांध परियोजना को लेकर राजस्व और बांध अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। उन्होंने बताया कि सोमवार से बांध प्रभावितों को मुआवजा वितरण की योजना है। 3700 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाली इस परियोजना का पहला चरण 15 सितंबर से शुरू होगा और 2029 तक पूरा किया जाएगा। प्रभावितों के पुनर्वास के लिए उधम सिंह नगर के पराग फॉर्म में टाउनशिप बनाई जा रही है। सबसे पहले बांध निर्माण के लिए संपर्क मार्ग का निर्माण किया जाएगा। बरसात के मौसम में गोला नदी की जल निकासी के लिए दो ऑफर डैम और टनल बनाई जाएंगी। परियोजना के डूब क्षेत्र में 6 गांव की 49.71 हेक्टेयर निजी भूमि और 1267 परिवार प्रभावित होंगे, जिनका विस्थापन किया जाएगा।