उत्तराखंड ऋषिकेशHighest Shivling of Uttarakhand in Rishikesh

ऋषिकेश में उत्तराखंड का सबसे ऊंचा शिवलिंग, सीढ़ी चढ़कर करना पड़ता है यहां जलाभिषेक

उत्तराखंड में कई ऐसी विशेष जगहें हैं जो न केवल यात्रा के लिए जानी जाती हैं, बल्कि भक्ति भाव से भी जुड़ी हुई हैं। इनमें से एक प्रमुख स्थल है ऋषिकेश, जो अपने पवित्र तीर्थ स्थान के लिए प्रसिद्ध है।

Highest Shivling of Uttarakhand: Highest Shivling of Uttarakhand in Rishikesh
Image: Highest Shivling of Uttarakhand in Rishikesh (Source: Social Media)

ऋषिकेश: तीर्थ नगरी ऋषिकेश अपनी धार्मिक स्थलों और घाटों के लिए विख्यात है। यहाँ राज्य का सबसे ऊंचा शिवलिंग स्थित है, जिसकी ऊँचाई लगभग 11 फीट है। यह शिवलिंग न केवल देशभर से बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस शिवलिंग पर जल अर्पण के लिए श्रद्धालुओं को सीढ़ियों का सहारा लेना पड़ता है।

Highest Shivling of Uttarakhand in Rishikesh

ऋषिकेश में स्थित श्री सच्चा अखिलेश्वर महादेव मंदिर एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यहाँ कई प्राचीन मंदिर हैं जो भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इस मंदिर का विशेष स्थान है, क्योंकि यह भगवान शिव को समर्पित है और प्रतिदिन यहाँ महारुद्राभिषेक का आयोजन किया जाता है। मंदिर के पुजारी शुभम तिवारी के अनुसार यह पवित्र स्थल लक्ष्मण झूला के पास गंगा के किनारे स्थित है। इसकी स्थापना संत श्री सच्चा बाबा ने की थी और इसी कारण इसे सच्चा अखिलेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। मंदिर की स्थापना मानव कल्याण के उद्देश्य से गंगा के तट पर की गई थी और महारुद्राभिषेक की परंपरा भी संत सच्चा बाबा द्वारा शुरू की गई थी। तब से लेकर आज तक हर रोज यहाँ इस विशेष पूजा का आयोजन होता है।

  • सीढ़ी पर चढ़कर करते हैं भक्त जल अर्पण

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    इस मंदिर की लोकप्रियता का एक महत्वपूर्ण कारण यहाँ स्थित शिवलिंग है, जिसकी ऊँचाई लगभग 11 फीट है। यह शिवलिंग न केवल ऋषिकेश में बल्कि पूरे राज्य में सबसे ऊंचा माना जाता है और इसे एक ही पत्थर से तराशा गया है। यह मंदिर देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के बीच बहुत प्रसिद्ध है। शिवलिंग पर जल अर्पण करने के लिए भक्तों को सीढ़ियों का उपयोग करना पड़ता है। मंदिर में प्रतिदिन भजन कीर्तन आयोजित किए जाते हैं और साधु-संतों को निःशुल्क भोजन भी प्रदान किया जाता है। यहाँ के पट सुबह 6 बजे से खुलते हैं और संध्या आरती के बाद लगभग 8 बजे तक खुले रहते हैं। यदि आप ऋषिकेश यात्रा पर आ रहे हैं तो इस मंदिर के दर्शन अवश्य करें।