उत्तराखंड देहरादूनDiwali is Celebrated A Month After National Diwali in Jonsar

उत्तराखंड में यहां 1 महीने बाद मनाते हैं 5 दिन की बूढ़ी दीवाली, श्रीराम से जुड़ी है अनोखी परंपरा

कुछ दिनों में जहां पूरे उत्तराखंड और देश में दीपावली का त्योहार धूमधाम से मनाया जाएगा, वहीं उत्तराखंड के कुछ ऐसे इलाके भी हैं जहां दिवाली एक महीने बाद मनाई जाती है। आइए जानते हैं इस खास परम्परा के बारे में….

Diwali in Jonsar: Diwali is Celebrated A Month After National Diwali in Jonsar
Image: Diwali is Celebrated A Month After National Diwali in Jonsar (Source: Social Media)

देहरादून: जौनसार बावर जनजातीय क्षेत्र में राष्ट्रीय दिवाली के ठीक एक महीने बाद बूढ़ी दिवाली मनाने की अनोखी परंपरा है, जिसमें पारंपरिक लोक संस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। यहां दिवाली को पूरी तरह ईको-फ्रेंडली और परंपरागत तरीके से मनाया जाता है।

Diwali is Celebrated A Month After National Diwali in Jonsar

उत्तराखंड के जौनसार बावर जनजातीय क्षेत्र में दीवाली का त्योहार एक खास अंदाज में मनाया जाता है, जिसे ‘बूढ़ी दिवाली’ के नाम से जाना जाता है। यह दिवाली मुख्य दिवाली के ठीक एक महीने बाद आती है और कई दिनों तक चलती है। इस पर्व की सबसे खास बात यह है कि यहां पटाखों का प्रयोग नहीं किया जाता, बल्कि भीमल की लकड़ी से बनी मशालों को जलाकर गांव के लोग एकत्रित होते हैं। ग्रामीण पारंपरिक वेशभूषा में सजे-धजे गांव के पंचायती आंगन या खलिहान में इकट्ठा होते हैं, जहां ढोल-दमाऊ की थाप पर रासो, तांदी, झैंता और हारुल जैसे पारंपरिक नृत्य किए जाते हैं। इसे स्थानीय लोग बिरुडी पर्व के रूप में भी जानते हैं, जो स्थानीय लोक संस्कृति का एक प्रतीक है।

किंवदंती है कि श्रीराम के अयोध्या लौटने की खबर देर से मिली

बूढ़ी दिवाली मनाने के पीछे कई मान्यताएं हैं। जनजातीय क्षेत्र के बुजुर्गों का मानना है कि भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने की खबर इस क्षेत्र के लोगों को काफी देरी से मिली थी, जिस कारण यहां दिवाली एक महीने बाद मनाने की परंपरा शुरू हुई। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि जौनसार बावर एक कृषि प्रधान क्षेत्र है, जहां लोग खेती-बाड़ी में व्यस्त रहते हैं। फसल कटाई के बाद ही उन्हें पर्व मनाने का समय मिलता है, इसलिए यह त्योहार एक महीने बाद परंपरागत रूप से मनाया जाता है। इसके साथ ही यह पर्व गांव के सभी कार्यों के निपटारे और सर्दियों की तैयारी के बाद आता है।

एक महीने के बाद मनाते हैं 5 दिवसीय बूढ़ी दिवाली

बूढ़ी दिवाली का जश्न जौनसार बावर के हर गांव में खास तरीके से मनाया जाता है, जिससे पूरा क्षेत्र गुलजार हो जाता है और यह बूढ़ी दिवाली 5 दिनों तक चलती है। इस अवसर पर प्रवासी लोग भी अपने गांव लौटते हैं, जिससे पूरे जौनसार बावर में अलग ही रौनक दिखाई देती है। इस त्योहार के दौरान गांव की सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं का सुंदर समागम देखने को मिलता है, जो यहां के लोगों की सांस्कृतिक विरासत को सजीव बनाए रखता है।