उत्तराखंड देहरादूनUttarakhand Gets National Fisheries Development Board Award 2024

उत्तराखंड की ट्राउट हिमालयी-पूर्वोत्तर राज्यों में सर्वश्रेष्ठ, राष्ट्रीय मत्स्य बोर्ड की मोहर

यह सर्वश्रेष्ठ राज्य पुरस्कार किसानों को सशक्त बनाने और स्थायी आजीविका को बढ़ावा देने के प्रति राज्य के समर्पण और अभिनव दृष्टिकोण को दर्शाता है।

National Fisheries Development Board Award: Uttarakhand Gets National Fisheries Development Board Award 2024
Image: Uttarakhand Gets National Fisheries Development Board Award 2024 (Source: Social Media)

देहरादून: राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (NFDB)की ओर से उत्तराखंड को हिमालयी और पूर्वोत्तर राज्यों की श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ राज्य पुरस्कार से नवाजा गया है।

Uttarakhand Gets National Fisheries Development Board Award 2024

नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में भारतीय केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ने उत्तराखंड के पशुपालन और मत्स्य पालन सचिव डॉ. B.V.R.C पुरुषोत्तम को ये पुरष्कार दिया। राजीव रंजन सिंह केंद्र में मत्स्य पालन-पशुपालन-डेयरी मंत्री हैं। यह पुरस्कार विश्व मत्स्य दिवस के अवसर पर राज्य की मत्स्य विकास में अद्वितीय उपलब्धियों और नवोन्मेषी पहलों की सराहना के लिए दिया गया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस सम्मान के लिए मत्स्य विभाग और मछली पालकों को बधाई दी। उन्होंने कहा, "यह पुरस्कार किसानों को सशक्त बनाने और स्थायी आजीविका को बढ़ावा देने के प्रति राज्य के समर्पण और अभिनव दृष्टिकोण को दर्शाता है। सरकार विभिन्न योजनाओं और पहलों के माध्यम से किसानों और पशुपालकों की आय बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।"

मत्स्य विभाग के 1400 ट्राउट रेसवे

उत्तराखंड में मत्स्य विभाग ने 1,400 से अधिक ट्राउट रेसवे स्थापित किए हैं, जिससे ट्राउट फार्मिंग और उत्पादन को बढ़ावा मिला है। राज्य ने "मत्स्य सम्पदा योजना" के अंतर्गत उधम सिंह नगर जनपद में एक राज्य स्तरीय एक्वापार्क और एक थोक मछली बाजार विकसित किया है। इस योजना से मछली पालकों के लिए महत्वपूर्ण अवसर विकसित हुए हैं। मछली की आपूर्ति के लिए स्थानीय मत्स्य पालक समूहों और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ है। इससे मत्स्य पालकों को स्थायी बाजार मिल सकेगा और उनकी आय बढ़ेगी। राज्य सरकार द्वारा की गई ये पहल राज्य के मत्स्यपालकों को सशक्त करने, टिकाऊ जल कृषि को प्रोत्साहित करने और हिमालयी क्षेत्र में आजीविका के विकल्पों को बढ़ाने के लिए उत्तराखंड के ठोस प्रयासों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।