हरिद्वार: उत्तराखंड शासन के सचिव डा. आर. राजेश कुमार ने निदेशक चिकित्सा निदेशालय उत्तराखंड, देहरादून को एक पत्र भेजकर राजकीय मेडिकल हरिद्वार को पी.पी.पी. मोड में संचालित करने के लिए ई-निविदा के माध्यम से शारदा एजुकेशनल ट्रस्ट को सौंपने की अनुमति प्रदान की है।
Haridwar Medical College will be operated in PPP mode
इस पत्र के प्रकाशन के बाद समस्त विपक्ष ने आक्रामक रुख अपनाया है। वरिष्ठ अधिवक्ता सुभाष त्यागी, जो कांग्रेस के भी प्रमुख नेता हैं, ने कहा कि सरकार पहले से ही राष्ट्रीय स्तर पर सार्वजनिक क्षेत्रों को निजी हाथों में सौंपकर गरीबों का शोषण कर रही है। अब हरिद्वार में निर्माणाधीन सरकारी मेडिकल कॉलेज को निजी क्षेत्र को सौंपकर प्रदेश सरकार द्वारा राज्य के युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
कॉलेज निजी हाथों में सौंपकर गुप्त खेल खेला
उत्तराखंड के पूर्व राज्यमंत्री डा० संजय पालीवाल ने कहा कि पूर्व कांग्रेस की महापौर श्रीमती अनीता शर्मा ने राज्य के युवाओं के भविष्य तथा गरीबों के उचित इलाज के लिए 500 बीघा नगर निगम की भूमि हरिद्वार मेडिकल कॉलेज के निर्माण के लिए निःशुल्क प्रदान की थी। अब सरकार ने अरबों रुपये की भूमि पर बने मेडिकल कॉलेज को शारदा एजुकेशनल ट्रस्ट के निजी हाथों में सौंपकर जो गुप्त खेल खेला है, वह किसी से भी छिपा नहीं है। डॉ. पालीवाल ने बताया कि इस निजीकरण के मुद्दे पर प्रदेश के राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है।
हरिद्वार की जनता नहीं रहेगी मौन
वरिष्ठ कांग्रेस नेता अरविन्द शर्मा एडवोकेट ने इस संदर्भ में उच्च न्यायालय नैनीताल जाने की योजना बनाने और हाईकोर्ट नैनीताल के प्रमुख अधिवक्ता विवेक शुक्ला से निरंतर संपर्क में रहने की जानकारी साझा करते हुए कहा, "बीस साल बेमिसाल" का यह एक काला अध्याय है। हरिद्वार की जनता इस पर मौन नहीं रहेगी। पूर्व महापौर अनीता शर्मा ने हरिद्वार मेडिकल कॉलेज के निजीकरण को अत्यंत निंदनीय बताते हुए कहा कि इस अरबों रुपये की भूमि को उनके कार्यकाल में हरिद्वार के युवाओं और जनता के भविष्य के लिए आवंटित किया गया था, लेकिन सत्ता के लालच में लोगों ने इस पर बड़ा खेल खेला है।
भाजपा के कार्यकर्ता भी हैं चकित
आम आदमी पार्टी के जिलाध्यक्ष इंजीनियर संजय सैनी ने इस मेडिकल कॉलेज के निजीकरण के खिलाफ न्यायालय में जाने की योजना बनाई है। सरकार के इस निजीकरण के फैसले से भाजपा के कार्यकर्ता भी चकित हैं और यह सोचने में परेशान हैं कि वे जनता को क्या उत्तर देंगे। कॉरिडोर का मुद्दा अभी भी खुलकर सामने है, और इसी बीच सरकार ने एक नया विवाद खड़ा कर हरिद्वार की जनता को हैरान कर दिया है।