उत्तराखंड देहरादूनCase against cabinet minister Prem Chandra Aggrwal son

उत्तराखंड को अपनी जागीर समझ रहे कैबिनेट मंत्री के पुत्र, तहस-नहस कर डाला जंगल.. मुकदमा दर्ज

उत्तराखंड के वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल के बेटे पर वन विभाग ने मुकदमा दर्ज किया है। आरोप हैं कि पियूष अग्रवाल ने रिजॉर्ट के लिए बिना अनुमति पेड़ काटे और जेसीबी से खुदान किया.. पढ़िए

Forest department filed a case: Case against cabinet minister Prem Chandra Aggrwal son
Image: Case against cabinet minister Prem Chandra Aggrwal son (Source: Social Media)

देहरादून: जरा सोचिए, उत्तराखंड में क्या यह काम कोई आम आदमी कर सकता है? पैसे कमाने की अंधी दौड़ में रसूखदारों और उत्तराखंड के नेताओं के बेटे किस हद तक जा रहे हैं, इसका एक उदाहरण कुछ समय पहले इसी क्षेत्र में हमारे सामने आया था। पहाड़ की बेटी अंकित भंडारी भी ऐसे ही रसूखदार लोगों की जिद की भेंट चढ़ गई थी। उत्तराखंड के राजनेताओं के बेटे अब भी कुछ खास नहीं बदले हैं। उत्तराखंड को अपनी बपौती समझ कर जो मर्जी आ रही है यह लोग वह काम कर रहे हैं।

Case against cabinet minister Prem Chandra Aggrwal son

कैबिनेट मंत्री प्रेम चन्द्र अग्रवाल के बेटे पर वन विभाग ने रिपोर्ट दर्ज की है। निजी नाप भूमि पर रिजॉर्ट निर्माण के लिए संरक्षित प्रजाति के पेड़ों के अवैध कटान के मामले में आखिरकार वन विभाग को एक्शन लेना पड़ा। ये मामला कोटद्वार के यमकेश्वर इलाके के खैरखाल क्षेत्र का है, जहां नीलकंठ मार्ग पर दो संरक्षित खैर के पेड़ों सहित 26 पेड़ों की अतिक्रमणकारी कटाई की गई है।

राजस्व विभाग ने तीन बार रोका काम, पर...

राजस्व उपनिरीक्षक के तीन बार काम रुकवाने के बाद भी तहसील प्रशासन की शह पर रसूखदार पेड़ों की अवैध कटाई और JCB चलाकर सड़क चौड़ी करते रहे। अब वन विभाग ने कैबिनेट मंत्री प्रेम चन्द्र अग्रवाल के बेटे पर मुकदमा दर्ज किया है। वन विभाग ने पीयूष अग्रवाल के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की है, और कहा है कि निजी नाप भूमि पर संरक्षित प्रजाति के पेड़ों का अवैध कटान पीयूष अग्रवाल ने रिजॉर्ट निर्माण के लिए किया है।

तहसील प्रशासन ने मूंदी आखें

ग्रामीणों का आरोप है कि यह भूमि रसूखदार व्यक्तियों की है, इसलिए तहसील प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, इनमें से 24 पेड़ छूट प्रजाति के थे, जबकि दो संरक्षित प्रजाति के थे। लालढांग रेंज द्वारा जांच में यह पाया गया कि इन दो खैर के पेड़ों को अवैध रूप से काटा गया है। इसके साथ ही, बिना अनुमति के सड़क निर्माण के लिए लगातार जेसीबी मशीन चलाने का आरोप भी सामने आया है। स्थानीय राजस्व उपनिरीक्षक द्वारा तीन बार मौके पर पहुंच कर काम रोकने के बावजूद इस कार्यवाही को रोकने में तहसील प्रशासन ने कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की।