श्रीनगर गढ़वाल: HNB गढ़वाल यूनिवर्सिटी में होने वाला किताब कौथिक 15 और 16 फरवरी को किया जाना था। लोक कलाकार नरेंद्र सिंह नेगी स्वयं बढ़चढ़कर किताब कौथिक का हिस्सा थे, लेकिन परमिशन मिलने के बाद भी छात्रों द्वारा तोड़फोड़ और आगजनी करने की धमकी देने के बाद यह कार्यक्रम रद्द करना पड़ा।
Hem Pant and his initiative Kitab Kauthig
छात्रों द्वारा कहा गया कि किताब कौथिक में वामपंथी किताबें बांटी जा रही हैं। किताब कौथिक कार्यक्रम से जुड़े एक व्यक्ति ने नाम न छापने के शर्त पर बताया कि गांधी नेहरू और अंबेडकर से जुड़ी किताबें कार्यक्रम से हटाने की जिद पर छात्रों द्वारा यह कार्यक्रम रद्द करवाया गया।
हेम पंत की पहल "किताब कौथिक"
पेशे से इंजीनियर हेम पंत उत्तराखंड में साहित्य, पठन और स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए समर्पित सांस्कृतिक कार्यकर्ता बन गए। एक जापानी बहुराष्ट्रीय कंपनी के साथ 15 साल के सफल करियर के बाद हेम पंत ने वर्ष 2022 में "किताब कौथिक" शुरू किया। किताब कौतिग राज्य भर में साहित्यिक उत्सवों का आयोजन करती है, जिसमें लेखक, कवि और पाठक सभी एक जगह पर आते हैं।
CM धामी ने कहा था.. हर जिले में हो किताब कौथिक
साल 2004 में क्रिएटिव उत्तराखंड संगठन ने पहाड़ में बच्चों की शिक्षा के लिए ऑनग्राउंड काम शुरू किया था, जिसे "किताब कौथिक" कहा गया। पहला किताब कौथिक दिसंबर 2022 में टनकपुर में आयोजित किया गया, इसमें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्वयं प्रतिभाग किया था और कहा था कि ये पुस्तक मेला हर जिले में लगना चाहिए।
दो सालों में 12 किताब कौथिक
हेम पंत स्वयं बताते हैं, कि शुरू में सोचा गया था कि साल में सिर्फ एक या दो कार्यक्रम किए जाएंगे लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि 2 साल से भी कम समय में 12 आयोजन हो चुके हैं। इस कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों के अनुभवी लोग मिलकर साहित्यिक और सामाजिक मुद्दों पर सार्थक बातचीत करते हैं। नई पीढ़ी को पुरानी पीढ़ी के अनुभवों से सीखने और समझने का मौका मिलता है।
कौथिक में आते हैं करियर एक्सपर्ट
डिजिटल टॉक शो "टेड टॉक्स" में हेम बताते हैं कि "किताब कौथिक".. किताबों के साथ-साथ युवा पीढ़ी को नए अवसर देने का एक शक्तिशाली मंच बन रहा है। दूर दराज के इलाके में रहने वाले युवा करियर एक्सपर्ट गेस्ट से मिलकर मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं। ये जानकारी इन बच्चों के भविष्य निर्माण में सहायक साबित होती है।
बच्चे लिखते हैं किताबें
इस कौथिक का एक सुखद और महत्वपूर्ण पहलू इसमें होने वाली कार्यशालाएं भी हैं, अलग अलग शहरों के अलग-अलग स्कूलों के बच्चे कार्यशाला में भाग लेकर अपनी 20 पेज की हस्तलिखित किताब और बाल कवि सम्मेलन तैयार करते हैं। जाहिर है, इन हस्तलिखित किताबों से बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ता है।
लगे वामपंथी होने के आरोप
छात्रों के आरोप हैं कि किताब कौथिक में वामपंथी किताबें बांटी जा रही हैं। फिर कहा गया कि गांधी नेहरू और अंबेडकर से जुड़ी किताबें कार्यक्रम से हटाने की जिद पर छात्रों द्वारा यह कार्यक्रम रद्द करवाया गया। राज्य समीक्षा का युवा साथियों से आग्रह है कि यदि आपको किताबें बदलवानी हैं तो आयोजकों से बात की जा सकती है, यदि आप इसमें कुछ साहित्य जोड़ना चाहते हैं तो वह स्वागत योग्य कदम है, आप इससे जुड़कर इसे और बेहतर कर सकते हैं। लेकिन किताबों के त्यौहार को बंद करना शिक्षा के वातावरण को नष्ट करने जैसा है, ऐसा न होने दें।