उत्तराखंड रुद्रप्रयागSaurabh Maithani and Tripta Marriage in Triyuginarayan

त्रियुगीनारायण में लोकगायक सौरभ मैठाणी का विवाह, सोशल मीडिया पर वायरल हुई "ब्यो की चिट्ठी"

सौरभ मैठाणी गढ़वाली बोली को पूरी दुनिया के संगीत प्रेमियों तक तो पहुंचा ही रहे हैं, उन्होंने अपने विवाह का कार्ड भी गढ़वाली बोली में छपाया है। सोशल मीडिया पर सौरभ के "ब्यो की चिट्ठी" खूब पसंद की जा रही है।

Saurabh Maithani and Tripta Marriage: Saurabh Maithani and Tripta Marriage in Triyuginarayan
Image: Saurabh Maithani and Tripta Marriage in Triyuginarayan (Source: Social Media)

रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोक गायक सौरभ मैठाणी कल विवाह के बंधन में बंधने जा रहे हैं। सौरभ और तृप्ता कुकरेती 5 मार्च को त्रियुगीनारायण मंदिर में शिव पार्वती विवाह स्थल पर विवाह कर रहे हैं। ख़ास बात ये है कि उन्होंने अपनी शादी का कार्ड गढ़वाली में छपाया है।

Saurabh Maithani and Tripta Marriage in Triyuginarayan

पहाड़ के सुरीले लोकगायक सौरभ मैठाणी विवाह के बंधन में बंधने जा रहे हैं। सौरभ की होने वाली अर्धांगिनी तृप्ता कुकरेती पौड़ी जिले में द्वारीखाल के बरसूडी गांव की रहवासी हैं। तृप्ता देहरादून में संगीत और नृत्य की शिक्षिका हैं। दोनों शिव पार्वती विवाह स्थल त्रियुगीनारायण मंदिर के पौराणिक वेदी मंडप को साक्षी मानते हुए विवाह के पवित्र बंधन में बंधने जा रहे हैं।

  • सौरभ के ब्यो की चिट्टी

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    अपने गीतों से सौरभ मैठाणी गढ़वाली बोली को पूरी दुनिया के संगीत प्रेमियों तक तो पहुंचा ही रहे हैं, उन्होंने अपने विवाह का कार्ड भी गढ़वाली बोली में छपाया है। सोशल मीडिया पर सौरभ के "ब्यो की चिट्ठी" खूब पसंद की जा रही है। ब्यो की चिट्ठी पर एक विशेष संदेश अंकित किया गया है। भाषा अपनाओ संस्कृति बचाओ.. गढ़वाली बोली को बचाने और इसका संवर्धन करने के लिए इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है।

  • मैं पहाडूं कु रैबासी

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    सौरभ मैठाणी रुद्रप्रयाग जिले के जखोली ब्लॉक के भरदार पट्टी के क्वीलाखाल के निवासी हैं। चैतराम मैठाणी और हेमा मैठाणी के सुपुत्र सौरभ मैठाणी लंबे समय से सुन्दर लोकगीतों की रचना कर उनका सुरीला गायन कर रहे हैं। मैं पहाडूं कु रैबासी.. तू दिल्ली रौण वाली, वखि मेरू गौं, बिजुली उनके लोकप्रिय गीतों में शामिल हैं। राज्य समीक्षा के ओर से सौरभ और तृप्ता को विवाह की ढेर सारी शुभकामनाएं.. भगवान भोलेनाथ और मां गौरा आशीर्वाद बनायें रखें।

  • त्रियुगीनारायण में विवाह का विशेष महत्त्व

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    केदारघाटी के युवा नेता और स्थानीय व्यापारी दिवाकर गैरोला ने विवाह के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि विवाह पूरी तरीके से गढ़वाली रीति रिवाज से ही संपन्न किया जा रहा है। त्रियुगीनारायण में सौरभ और तृप्ता के विवाह की व्यवस्थाएं दिवाकर गैरोला देख रहे हैं। गढ़वाल की केदार घाटी में होने वाले सभी मांगलिक कार्यक्रमों से सुसज्जित सौरव और तृप्ता के विवाह की खास तैयारियां हैं। दिवाकर कहते हैं की त्रियुगीनारायण में स्थित शिव और पार्वती विवाह स्थल अलौकिक स्थान है। इस स्थान पर विवाह करने वाले वर वधु को शिव और पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है।