उत्तराखंड Mahasu devta the god of justice

उत्तराखंड के इस मंदिर में हर साल राष्ट्रपति भवन से आता है नमक, दुनिया झुकाती है सिर

महान है देवभूमि और महान हैं यहां की परंपराएं। आज भगवान शिव के एक अलौकिक मंदिर के बारे में जानिए।

उत्तराखंड न्यूज: Mahasu devta the god of justice
Image: Mahasu devta the god of justice (Source: Social Media)

: आज हम आपको देवभूमि उत्तराखंड के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका इतिहास गवाह है कि उत्तराखंड में सभ्यता और संस्कृति सदियों से चली आ रही है। देहरादून से 190 किलोमीटर दूर स्थित स्थित है महासू मंदिर। ये मंदिर यूं तो अपनी मान्यताओं के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। लेकिन इसके बारे में एक खास बात ये है कि यहां हर साल राष्ट्रपति भवन से नमक आता है। ये मंदिर चकराता के पास हनोल गांव में है। ये मंदिर टोंस नदी के पूर्वी तट पर विराजमान है। लोग हनोल के महासू देवता मंदिर में दर्शनों के लिए आते हैं। सालभर यहां आस्था का सैलाब उमड़ता है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां अगर आप सच्चे दिल से कुछ मांगो तो आपको मिल जाता है। दरअसल इस मंदिर को न्यायाधीश कहा जाता है।

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कहा जाता है कि यहां मनुष्य के हर कर्म का हिसाब होता है। ये मंदिर मिश्रित शैली की स्थापत्य कला को संजोए हुए है। उत्तराखंड की लोक परंपरा के मद्देनजर ये मंदिर काफी अहम है। इस मंदिर के गर्भ गृह में जाने पर लोगों की पाबंदी है। सिर्फ मंदिर का पुजारी ही मंदिर में प्रवेश कर सकता है। ये बात आज भी एक बड़ा रहस्य है। इसके साथ ही इस मंदिर में एक अखंड ज्योति जलती रहती है। ये ज्योति दशकों से जलती जा रही है। कहा जाता है कि इस मंदिर के गर्भ गृह में पानी की एक धारा भी है। ये धारा कहां जाती है, ये बात भी आजतक रहस्य बनी है। 'महासू देवता' एक नहीं चार देवताओं का नाम है। महासू शब्द 'महादेव' का अपभ्रंश है। यहां बासिक महासू, पबासिक महासू, बूठिया महासू और चालदा महासू हैं, जो कि भगवान शंकर के रूप कहे जाते हैं। महासू देवता को न्याय के देवता भी कहा जाता है।

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इस मन्दिर को न्यायालय के रूप में माना जाता है। महासू देवता के भक्त इस मन्दिर में न्याय की गुहार करते हैं। खास बात ये भी है कि लोगों को यहां न्याय मिलता भी है। कहा जाता है कि इस मंदिर को 9वीं शताब्दी में बनाया गया था। फिलहाल ये मंदिर पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के संरक्षण में है। महासू देव को नहादेव का रूप कहा जाता है। कहा जाता है कि महासू देवता का मंदिर जिस गांव में बना है. उस गांव का नाम हुना भट्ट ब्राह्मण के नाम पर रखा गया है। इससे पहले इस जगह को चकरपुर नाम से जाना जाता था। कुल मिलाकर कहें तो महासू देव के मंदिर में एक बार मनुष्य को जरूर जाना चाहिए। यहां की शांति और वातावरण आपको एक पल के लिए मंत्रमुग्ध कर देगा। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां मन्नतों को पूरा किया जाता है। धन्य है देवभूमि और धन्य हैं यहां के देवस्थान, जो हर किसी को हैरान कर देते हैं।