उत्तराखंड Story of kamaleshwar temple in srinagar garhwal

Video: देवभूमि के कमलेश्वर महादेव..जहां खड़रात्रि पूजा से होती है संतान प्राप्ति!

कहा जाता है कि कमलेश्वर महादेव में भगवान शिव का जागृत स्वरूप आज भी मौजूद है। इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है।

kamleshwar mahadev : Story of kamaleshwar temple in srinagar garhwal
Image: Story of kamaleshwar temple in srinagar garhwal (Source: Social Media)

: कहते हैं कि उत्तराखंड एक ऐसी भूमि है, जहां आपको कदम कदम पर चमत्कार मिलेंगे। इन्हीं चमत्कारों में से एक चमत्कार है कमलेश्वर महादेव का मंदिर, जो कि श्रीनगर में स्थित है। कमलेश्वर मंदिर एक ऐसा मंदिर है जहां अद्भुत शक्ति के नजारे को लोग अपनी आंखों में बसा लेते हैं। कलयुग में भले ही कम लोग इस बात पर भरोसा करें लेकिन सच ये भी है कि इस मंदिर में जो भी निसंतान आया उसे संतान की प्राप्ति हुई है। यहां आने वाले श्रद्धालु लगातार ऐसे किस्से सुनाते रहते हैं। कमलेश्वर मंदिर में होने वाली पूजा निसंतान दंपतियों की सूनी गोद भरने के लिए प्रसिद्ध है। उत्तराखंड के कई मंदिर ऐसे हैं जहां संतान प्राप्ति के लिए “खड़े दीये” की पूजा की जाती है। इस पूजा को स्थानीय भाषा में “खड़रात्रि” कहा जाता है। इस दौरान संतान की इच्छुक महिलाएं अपने पति के साथ इस मंदिर में रातभर जलते दीये को हाथों में लेकर खड़ी रहती हैं।

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भगवान शिव की आराधना की जाती है। कहा जाता है कि यहां दिल से और मन से पूजा की जाए तो हर इच्छा पूरी होती है। मान्यता है कि इस पूजा के बाद भगवान शिव के आशीर्वाद से कई दम्पतियों को संतान की प्राप्ति हुई है। वैकुण्ठ चतुर्दशी के दिन खड़रात्रि पूजा करने की चाहत रखने वाले दंपतियों का यहां रजिस्ट्रेशन होता है। वैकुण्ठ चतुर्दशी के दिन गोधूलि बेला पर पुजारी दीपक प्रज्वलित कर अनुष्ठान की शुरुआत करते हैं। मंदिर के ब्राहमणों द्वारा हर निसंतान दंपति से संकल्प लिया जाता है और पूजा कराई जाती है। खड़ारात्रि पूजा कर रही महिलाएं दो जुड़वा नींबू, दो अखरोट, श्रीफल, चावल और पंचमेवा को अपनी कोख से बांधती हैं। इसके बाद घी से भरा दीपक लेकर रात भर खड़ी रहती हैं। महिला अगर थक जाए तो उसके पति या परिवार के सदस्य कुछ देर के लिए दीपक को हाथ में ले सकते हैं।

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दूसरे दिन सुबह शुभ मुर्हत पर भगवान कमलेश्वर का अभिषेक किया जाता है। हर दंपति अपना दीपक शिव मंहत को साक्षी मान शिवार्पण करते हैं। बाद में श्रीफल देकर निसंतान दंपतियों को भोजन कराया जाता है। कहा जाता है कि कमलेश्वर मंदिर में भगवान विष्णु ने देवासुर संग्राम के दौरान अस्त्र शस्त्रों के लिए भगवान शंकर की तपस्या की थी। इस पूजा को एक निसंतान दंपति भी देख रहे थे। दंपति ने महादेव से संतान का वरदान मांगा। भगवान शिव ने कहा कि जो भी कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी के अवसर पर पूरी रात खड़ा दीया अनुष्ठान करेगा उसे संतान की प्राप्ति होगी। ये है इस मंदिर की अतुल्य कहानी। अब ये वीडियो जरूर देखें।

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