उत्तराखंड Purnagiri temple in uttarakhand

देवभूमि की मां पूर्णागिरी..आज भी बुजुर्ग लोग कहते हैं 'यहां रात भर शेर रुकता था'

देवभूमि की मां पूर्णागिरी के आगे दुनिया सिर झुकाती है। इसके पीछे कुछ खास वजहें हैं। जानिए

उत्तराखंड न्यूज: Purnagiri temple in uttarakhand
Image: Purnagiri temple in uttarakhand (Source: Social Media)

: 108 सिद्घ पीठों में से एक मां पूर्णागिरी मंदिर टनकपुर से 21 किमी दूर है। नेपाल बॉर्डर पर पढ़ने वाला टनकपुर क्षेत्र उत्तराखंड के चंपावत जिले में पड़ता है। जहां हरे-भरे पहाडों में पूर्णागिरी का निवास स्‍‌थान है। यहां हर साल हजारों भक्त मुरादें मांगने आते हैं। कहा जाता है कि दक्ष प्रजापति की कन्या और शिव की अर्धांगिनी सती की नाभि का भाग यहां पर भगवान विष्णु के चक्र से कट कर गिरा था। प्रतिवर्ष इस शक्तिपीठ की यात्रा करने आस्थावान श्रद्धालु कष्ट सहकर भी यहाँ आते हैं। ये स्थान नैनीताल जनपद के पड़ोस में और चंपावत जनपद के टनकपुर से मात्र 17 किलोमीटर की दूरी पर है। बुजुर्गों के मुताबिक कुछ साल पहले तक यहां शाम होते ही एक बाघ आ जाता था, जो माता के मंदिर के पास ही सुबह तक रूकता। इस वजह से लोग शाम होते ही ये स्थान खाली कर देते।

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अभी भी रात में यहां जाना वर्जित माना जाता है। मान्यता है कि यहां रात के समय केवल देवता ही आते हैं। "माँ वैष्णो देवी" जम्मू के दरबार की तरह पूर्णागिरी दरबार में हर साल लाखों की संख्या में लोग आते हैं। मंदिर में विशेष रूप से मार्च के महीने में चैत्र नवरात्रि के दौरान देश क‌े भी इलाकों से बड़ी संख्या में यहां श्रद्धालु आते हैं।हर साल इस वक्त भक्तों के आने का सिलसिला लगा रहता है। चैत्र नवरात्र से शुरू होने वाला मां पूर्णागिरी का यह मेला जून माह तक चलता है। मंदिर में पहुंचने के लिए टैक्सी द्वारा ठूलीगाड़ जाते हैं। जहां से मां पूर्णागिरी की पैदल यात्रा शुरू हो जाती है। ठूलीगाड़ से कुछ दूर हनुमान चट्टी पड़ता है।यहां आपको अस्थायी दुकान और आवासीय झोपड़ियां दिखाई देंगी। फिर तीन किमी. की चढ़ाई चढ़ने के बाद आप पूर्णागिरी मंदिर पहुंच जाएंगे।

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जहां से आप टनकपुर की बस्ती और कुछ नेपाली गांवों देख सकते हैं। यहां से काली नदी को भी ऊंचाई से देखा जा सकता है।यह मंदिर टनकपुर लखनऊ , दिल्ली , आगरा , देहरादून , कानपुर और अन्य जिलों के साथ सीधी बस सेवा द्वारा जुड़ा हुआ है मां पूर्णागिरी की पूजा के बाद लोग भी उसके वफादार भक्त ब्रह्म देव और नेपाल में स्थित सिद्घनाथ की पूजा करते हैं। उनकी पूजा किए बिना मां पूर्णागिरी के दर्शन पूरे नहीं माने जाते हैं। दिल्ली से टनकपुर के लिए सीधी बस है। टनकपुर पहुंचने के बाद टैक्सी से पूर्णागिरी जा सकते हैं। यह टैक्सी टनकपुर में उपलब्‍ध होती हैं। इसके साथ ही आप अपने वाहन से भी यहां जा सकते हैं। यात्रा से लौटने के बाद आप टनकपुर स्थित बस स्टेशन के पास स्थित होटलों में रुक सकते हैं।