उत्तराखंड manoj sarkar from uttarakhand won arjuna award

उत्तराखंड का लाल बना दुनिया का नंबर-1 प्लेयर, राष्ट्रपति ने अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया

उत्तराखंड के इस बेटे ने गरीबी और शारीरीक अक्षमता को मात देते हुए कामयाबी की एक नई इबारत लिख डाली है। मनोज को अर्जुन अवॉर्ड मिलने पर बधाई।

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Image: manoj sarkar from uttarakhand won arjuna award (Source: Social Media)

: उत्तराखंड का एक खूबसूरत और छोटा सा कस्बा है रुद्रपुर। इस रुद्रपुर से उत्तराखंड को ऐसी युवा प्रतिभा मिली, जिसने कामयाबी की नई इबारत लिखी। गरीबी और शारीरीक अक्षमता को मात देते हुए इस सपूत ने अब तक इंटरनेशनल लेवल पर 10 गोल्ड मेडल समेत 28 पदक जीते हैं। नेशनल लेवल पर इस लाल ने 18 गोल्ड मेडल समेत 24 पदक जीते हैं। इस पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी की दुनिया में नंबर 1 रैंकिंग है। सरकार ने कई बार इस गरीब परिवार को वित्तीय मदद का भरोसा दिया लेकिन वादे सारे झूठे निकले। इसके बाद भी उत्तराखंड के मनोज सरकार की प्रतिभा दुनिया से छिपी नहीं। मनोज के जबरदस्त खेल को देखते हुए राष्ट्रपति रामनाथा कोविंद ने उन्हें अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया है। मनोज सरकार पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी हैं।

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हो सकता है कि आपको मनोज का नाम याद ना हो क्योंकि आज के दौर में लोग स्टारडम के पीछे भागते हैं। जो बच्चे वास्तव में उत्तराखंड की शान हैं, उनके बारे में कोई दिलचस्पी नहीं रखता। विश्व की नंबर वन रैंकिग तक पहुंचने की कहानी की बड़ी संघर्षों से भरी पड़ी है। मनोज सरकार रुद्रपुर के रहने वाले हैं। उनका बचपन बेहद गरीबी में बीता है। मां जमुना सरकार ने मीडिया से बातचीत की और बताया कि मनोज जब डेढ़ साल का था, तो उसे तेज बुखार आया था। उस वक्त घर की हालत भी ठीक नहीं थी तो मनोज का इलाज एक झोलाछाप डॉक्टर से इलाज करवाया। इस वजह से दवा खाने के बाद मनोज के पैर में कमजोरी आ गई। गरीबी ने इतना मारा कि स्कूल में छुट्टी के दिन मनोज को पिता के साथ रंगाई-पुताई का भी काम करना पड़ा था।

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मनोज जब थोड़ा बड़ा हुआ तो बाकी बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने लगा था। इससे वो परिवार का थोड़ा बहुत खर्च पूरा कर लेता था। इस बीच मनोज लोगों को बैडमिंटन खेलते देखता, तो उसने भी माता पिता से रैकेट की जिद थी। बड़ी मुश्किल से घर का खर्च चल रहा था और ऐसे में रैकेट कहां से आता। मां ने खेतों में काम करके पैसे जुटाए और अपने बेटे के लिए पहला बैडमिंटन का रैकेट खरीदा था। इस पल को मनोज कभी नही्ं भूल पाए और इसके बाद अपनी पूरी ताकत बैडमिंटन पर लगा दी। अपने प्रदर्शन के दम पर मनोज ने नेशनल और इंटरनेशनल पैरा बैडमिंटन टीम में जगह बनाई। साल 2017 में मनोज के पिता का निधन हुआ लेकिन वो टूटा नहीं। इस वक्त मनोज पैरा एशियन गेम की तैयारियों में जुटा हुआ है।अब जाकर मेहनत रंग लाई और मनोज सरकार को अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। उत्तराखंड के लिए इससे ज्यादा गर्व की बात क्या होगी।